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________________ अनेकान्त 67/1, जनवरी-मार्च 2014 95 उपलब्ध हो पाए हैं। वीरचंद गाँधी के परिवार के लोगों के पास या अन्यत्र जो सामग्री सुरक्षित मिल सकी, वह इकट्ठी करके सबसे पहले १९६४ में एक संग्रहालय बनाया गया। उनके कुछ व्याख्यानों का एक संग्रह भी अंग्रेजी में इसी वर्ष प्रकाशित किया गया। बाद में, वर्ष १९९० में महुआ (भारत) और शिकागो (अमरीका) में उनकी मूर्ति स्थापित की गई। Gandhi Before Gandhi नाम से से एक नाटक लिखा गया जिसकी विश्व में विभिन्न स्थानों पर २०० से अधिक प्रस्तुतियाँ की गई और डॉ. बिपिन दोशी एवं प्रीति शाह ने इसी शीर्षक से एक पुस्तक लिखी जिसे जैन अकेडेमी एजुकेशनल रिसर्च सेंटर प्रोमोशन ट्रस्ट, मुम्बई ने २००९ में प्रकाशित किया। पुस्तक में वीरचंद गाँधी से संबन्धित आवश्यक जानकारी के साथ अमरीका/यूरोप में दिए उनके कुछ व्याख्यान भी सम्मिलित किए। भारतीय डाक विभाग ने ८ नवम्बर २००२ को उनके सम्मान में एक डाक टिकिट भी जारी किया। उधर अमरीका में भी प्रो. एलन रिचर्डसन ने अपनी पुस्तक Strangers in this Land (1988) में शिकागो धर्म सम्मेलन की और उसमें वीरचंद गाँधी के योगदान की चर्चा की। बाद में उन्होंने नई सामग्री के आलोक में अपनी पुस्तक के नए संस्करण Strangers in this Land: Religion, Pluralism and the American Dream (2010) में कुछ और सामग्री दी है। जो लोग देश का गौरव बढ़ाते हैं, वे हमारे लिए अनुकरणीय आदर्श होते हैं और सम्मान के पात्र होते हैं। उनकी उपेक्षा करना अपने पैरों कुल्हाड़ी मारना है। जब विश्व के ताकतवर लोग इस देश के निवासियों को जंगली-असभ्य-अज्ञानी बताकर अपमानित कर रहे थे, उस समय जिन महापुरुषों ने इस देश के सम्बन्ध में विदेशियों के अज्ञान को दूर करके देश की छवि उज्ज्वल करने का प्रयास किया, उन्हें सम्मानपूर्वक याद करना और उनकी स्मृति के दीप सतत प्रज्वलित रखना हमारा पुनीत कर्तव्य है। सदस्य- हिन्दी सलाहकार समिति, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार, - पी/१३८, एम. आई. जी., पल्लवपुरम-२, मेरठ-२५०११० (साभार : गर्भनाल पत्रिका से)
SR No.538067
Book TitleAnekant 2014 Book 67 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2014
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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