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________________ 81 अनेकान्त 67/4, अक्टूबर-दिसम्बर, 2014 कहा जाता है। इस ग्रंथ में मुख्यतः उदाहरणों, कथाओं के माध्यम से आत्म उन्नति का मार्ग, मार्ग में समागत व्यवधान तथा व्यवधानों का उचित समाधानों की सांगोपांग व्याख्या की गई है। जीवन में उत्थान के लिए व्याख्यायित इन कथाओं में तत्कालीन संस्कृति के अनुभव का अमृत समाहित है। ज्ञाताधर्मकथांग में तत्कालीन संस्कृति की महक मौजूद है। ज्ञाताधर्मकथांग में वर्णित सामाजिक-जीवन, राजव्यवस्था, धार्मिक मत-मतान्तर, आर्थिक जीवन, भौगोलिक स्थिति, शिक्षा, कला तथा विज्ञान आदि विषयों का विवेचन किया गया है। ज्ञाताधर्मकथांग में जहाँ सुखी पारिवारिक जीवन के सूत्र मिलते हैं, वहीं उत्तरदायी शासन व्यवस्था का उत्कर्ष भी दृष्टिगोचर होता है। समाज सेवा के विविध प्रसंग तत्कालीन संस्कृति को ‘परहित सरसि धर्म नहीं भाई' की भावना के समीपस्थ प्रस्तुत करते हैं। कथाओं के माध्यम से जैनधर्म और दर्शन के विविध पहलुओं के साथ-साथ अन्य धर्मो एवं मतों के सम्बन्ध में भी संक्षिप्त जानकारी दी गई है। श्रेणिक, मेघकुमार, धन्यवार्थवाह, थावच्चागाथापत्नी, राजा जितशत्रु, द्रुपद राजा व काली रानी आदि के अपार वैभव से तत्कालीन आर्थिक स्थिति का अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है। इन कथाओं से स्पष्ट है कि गुरु-शिष्य सम्बन्ध तत्कालीन संस्कृति का उज्जवल पक्ष था। शिक्षा केवल सैद्धान्तिक ही नहीं व्यावहारिक भी थी। ज्ञाताधर्मकथांग में भौगोलिक स्थिति : शिक्षा, अर्थव्यवस्था, राजनैतिक व सामाजिक स्थिति आदि संस्कृति को प्रभावित करने वाले विभिन्न घटक भौगोलिक परिवेश से अप्रभावित नहीं रह सकते। तत्कालीन भौगोलिक स्थिति से सम्बद्ध विभिन्न पहलुओं तथा संसार, नरक, अधोलोक, जम्बूद्वीप, रत्नद्वीप, घातकीखण्ड, नन्दीश्वर द्वीप, कालिक द्वीप, महाविदेह व पूर्वविदेह आदि तथा द्वीप, नगर, पर्वत, नदियाँ, ग्राम, उद्यान, वन, वनस्पति आदि भौगोलिक विश्लेषण का उल्लेख ज्ञाताधर्मकथांग में विविध अध्यायों में किया गया है। द्रोणमुख, पट्टन, पुटभेदन, कर्वट, खेट, मटम्ब, आकर, संवाह, आश्रम, निगम व सन्निवेष आदि विभन्न प्रकार के नगरों का संक्षिप्त विवेचन करते हुए राजगृह, चम्पा आदि महत्वपूर्ण नगरों की भौगोलिक स्थिति का वर्णन भी
SR No.538067
Book TitleAnekant 2014 Book 67 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2014
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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