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अनेकान्त 67/4, अक्टूबर-दिसम्बर, 2014
४. डॉ. नरेन्द्रकुमार जैन, समन्तभद्र अवदान, स्याद्वाद प्रसारिणी सभा, जयपुर, प्र० सं० सन्
२००१. ५. त० श्लोक ५, १, पृष्ठ ३४८, ४३९ ६. वही, ३४९ ७. वही, ३५० ८. त० सूत्र, ५.२०
९. त० श्लोक ५.३०.३५१ १०. वही, ५.३५२.५३
११. वही, ३५३, ३५४ १२. वही, ३५३, ३५६
१३. त० सूत्र, ५.३० १४. त० श्लोक ३५८
१५. आचार्य समन्तभद्र, स्वयम्भूस्तोत्रम् ४३ १६. त० श्लो० ३५९, ३६०
१७. त० सूत्र, ५.३० १८. वही, ५.३२
१९. वही, ५.३२, ३६४, ३६५ २०. त० सूत्र, ५.३९
२१. त० श्लोक ५.३९.३९३ २२. त० सूत्र, ५.२
२३. त० श्लोक ५.२.१६ २४. आचार्य अकलंक, तत्त्वार्थवार्तिक, ५.२ २५. त० श्लो० ५.२ २६. वैशेषिक दर्शन, १.१.१५
२७. त० श्लो० ५.३८ पृष्ठ, ३९५ २८. वही, ५.३९ ३९७
२९. वही, ४०० ३०. वही, ३९९
३१. सर्वार्थसिद्धि, ५.३८ ३२. त० सूत्र ५.४१
३३. स० सि० ५.४१ ३४. त० सूत्र, ५.४२ ३५. आचार्य समन्तभद्र, आप्तमीमांसा, ७१ और ७२
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