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________________ अनेकान्त 67/3, जुलाई-सितम्बर 2014 का प्रयोग करना। ७- बाजार की अमर्यादित धूप एवं तिल, जौ, आदि का प्रयोग करना। ८- हवन को कर्म का क्षय का प्रतीक न मानकर मनोकामना का कारण मानना। सांस्कृतिक कार्यक्रम में विसंगतियाँ : १- भरतचक्रवर्ति की सभा में नीलांजना का नृत्य करना। २- महाआरती में हाथी पर बैठकर आरती करने मंदिर या पांडाल में राजसी वेशभूषा में गाजे बाजे बे साथ जाना प्रभावना है। किन्तु हाथी न होने की स्थिति में हाथी की जगह घोड़े पर बैठकर जाना इस महाआरती को अश्वमेघ आरती कहना, आमंत्रण पत्रिका में छापना। ३- ड्रेस प्रतियोगिता में ज्ञानवर्धक महापुरुषों का वेश न बनाकर अन्य धर्म के देवताओं का वेश बनाना। ४- तीर्थकर की बारात रात में निकालना। चातुर्मास कलश स्थापना की विसंगतियाँ : १. चातुर्मास कलश स्थापना का आगम में उल्लेख प्राप्त नहीं होता है। २. चातुर्मास कलश की संख्या ने भी सीमा लांघ ली है। ३. चातुर्मास कलश पर यंत्र उसके सामने जाप एवं उस कलश के दर्शन करने की नवीन परपम्परा। ४.पिच्छी में पंखों की संख्या का बढ़ता पैमाना मयूर पक्षी को संकट में डाल रहा है। ५. चातुर्मास कलश में डाली जाने वाली सामग्री की संख्या एवं उसका प्रमाण और चातुर्मास में जीवों की उत्पत्ति का साधन बनना। विसंगतियों के कारण और निराकरण : श्रमण संस्कृति पर अन्य संस्कृति का प्रभाव। गीत, संगीत, साहित्य एवं अन्य संस्कृति के रीति रिवाज, त्यौहार, पूजन पद्धति, वेश भूषा आदि का प्रभाव होता जा रहा है। इन सबके रहने पर भी श्रमण संस्कृति ने अपने सिद्धान्तों की रक्षा की है। किन्तु फिर भी विसंगतियों ने श्रमण संस्कृति को दूषित किया ही है। राजनैतिक, धार्मिक, सामाजिक एवं विपरीत परिस्थितियों
SR No.538067
Book TitleAnekant 2014 Book 67 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2014
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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