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अनेकान्त 67/2, अप्रैल-जून 2014
पुस्तक समीक्षा
(१) जैन तीर्थवंदना एवं दर्शनीय स्थल
लेखक- डॉ. आर. के. जैन, प्रकाशक- आर. के. प्रकाशन, ७०, स्टेशन रोड, कोटा (राज.), संस्करण- प्रथम सितम्बर, २०१२, पुनर्मुद्रितमार्च, २०१३, मूल्य : ९०रु. पृष्ठ संख्या-२५४ ।
लेखक ने अत्यन्त श्रम करके जैन तीर्थ स्थलों का भारतवर्ष के १६ प्रदेशों के लगभग २१० जैन तीर्थों का वर्णन बिंदुवार किया जिसमें यात्रियों को पहुँच मार्ग, सुविधाएँ, खान-पान व्यवस्था आदि का वर्णन सुलभ हो सके। आवश्यक मानचित्रों के माध्यम से भी पहुंचमार्ग दर्शाया गया है। पुस्तक अत्यन्त उपयोगी है। पूज्य मुनिपुंगव श्री सुधासागर जी महाराज जैसे संतों का इसे आशीर्वाद प्राप्त हुआ। प्रकाशक के अलावा इसे सुनील न्यूज एजेंसीनयापुरा, कोटा आदि से प्राप्त किया जा सकता है।
(२) “गई बहुत थोड़ी रही” (आत्म मंथन)
लेखक- प्राचार्य नरेन्द्रप्रकाश जैन, प्रकाशक-श्रुतसेवा निधि न्यास फिरोजाबाद (उ०प्र०), पंजीकृत कार्यालय- १०४, नई बस्ती, फिरोजाबाद-२८२२०३, प्रथम संस्करण- जनवरी २०१४, पुण्यार्जक- भुवनेन्द्र कुमार, उपेन्द्रकुमार जिनेन्द्र कुमार जैन, मूल्य : चिंतन-मनन, पृष्ठ सं. ९६
लेखक देश के जाने माने वरिष्ठ विद्वान, लेखक एवं श्रेष्ठ प्रवचनकार हैं। जीवन के ८० बसंत देखने के बाद- एक साहित्य-मनीषी अपने जीवन के अनुभवों को शेयर करना चाहता है। पुस्तक का केन्द्र बिन्दु है कि जैसा साधु जीवन जिया वैसे ही मरण की तैयारी का मनोविज्ञान, इर्द-गिर्द घूमता हुआ है। स्वान्तः सुखाय, बहुजनहिताय, स्वमूल्यांकन और कुछ संकलित खण्डों के माध्यम से २२ शीर्षकों के अन्तर्गत जीवन के अनुभव एवं आत्म-चिंतन का कैनवास रचा गया है। भाषा प्रवाह सुरुचिपूर्ण, प्रभावी एवं एक बैठक में पढ़ने जैसी मनमोहक पुस्तक है। पुस्तक संग्रहणीय है।