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________________ 10 अनेकान्त 67/2, अप्रैल-जून 2014 ८. लौकिक कार्यों की सिद्धि के लिए तन्त्र-मन्त्र का प्रयोग। उक्त या उक्त प्रकार के अनेक विसंगतियाँ समय-समय पर सुनने, परिचय करने या अनुभव करने में आती हैं, तथापि इन्हें सार्वश्रामणिक नहीं माना जा सकता है। आज भी अनेक श्रमण अट्ठाईस मूलगुणों को निरतिचार पालक है। हम कतिपय साधुओं की साधुचर्या पर कोई टिप्पणी करके अघोषित आतंक के शिकार नहीं बनना चाहते हैं और न ही अनधिकारी कहलाकर धोबी का पत्थर बनकर भक्तों की ताड़ना ही सहना चाहते हैं। अतः कुछ जिज्ञासायें मात्र सुधी श्रावकों के समक्ष उपस्थित कर रहे हैं। वे स्वयं चिन्तन करें। पाँच समितियों का मनसा-वाचा-कर्मणा पालन करने वाला साधु क्या अपने भक्तों द्वारा चातुर्मास की स्थापना के लिए संख्याबल या शक्तिप्रदर्शन को आधार बना सकता है? क्या योजना आयोग की तरह कोई साधु अपने घोषित कार्यक्रर्मों की परिपूर्ति न देखकर स्वयं को एक नगर से कुछ ही समय में ईर्या समिति का पालन न करते हुए अन्य नगर में स्थानान्तरित कर सकता है? क्या एक दिन में औसतन तीस-पैंतीस किलोमीटर चलकर चार हाथ भूमि देखते हुए विहार में विहित ईर्या समिति को पाला जा सकता है? 'दिशाबोध' मासिक पत्रिका (अक्टूबर २००७) में 'अन्जामें गुलिस्ता क्या होगा?', कहकर श्री चिरंजीलाल बगड़ा ने अनेक प्रश्न उठाये हैं। उनमें एक प्रश्न उठाकर मैं कतिपय साधुओं या किसी साधु के इन्द्रिय निरोध मूलगुण की ओर इशारा करना चाहता हूँ। “विचारणीय है कि पाँच इन्द्रियों के विषयों का निग्रह करने वाला सन्त क्या सेंट या ईतर का प्रयोग कर सकता है ? क्या मधुर संगीत की रागिनी का दीवाना होना उसके लिए उचित है? क्या चाटुकारों की भीड़ इकट्ठी कर कविसम्मेलनों में एक मुनि का बैठना उचित है? क्या मात्र रसना इन्द्रिय का निग्रह ही एकमात्र साधना है?" दिशाबोध की उक्त टिप्पणी बहुत कुछ कहती है। विचार करें। साधुओं के द्वारा निजी स्वार्थों या श्रावकों को आकर्षित करने के लिए मन्त्र-तन्त्र का प्रयोग अविचारित रम्य हो सकता है। इस विषय में श्री सुरेश जैन 'सरल' के कथन को मात्र उद्धृत करके मैं अधिक कुछ नहीं कहना चाहता हूँ। वे लिखते हैं कि “किसी जैन
SR No.538067
Book TitleAnekant 2014 Book 67 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2014
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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