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चेतन खेले होरी
चेतन खेले होरी, सता भूमि, छिमा बसन्त में समता प्रान पिया संग गोरी।
चेतन खेले होरी,
मन को माट, प्रेम को पानी,
तामें करूना केसर घोरी, ज्ञान-ध्यान पिचकारी भरि भरि, आप में छाएँ होरा-होरी।
चेतन खेले होरी,
गुरू के वचन मृदंग बजत है, नय दोनां डफ लाल टकोरी, संजम अतर विमल व्रत चोवा, भाव गुलाल भरै भर झोरी।
चेतन खेले होरी,
धरम मिठाई, तप बहु मेवा, समरस आनन्द अमल कटोरी, "द्यानत” सुमति कहे सखियन सों चिर जीवों यह -जुग जुग जोरी।
चेतन खेले होरी।
-कविवर द्यानतराय