SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 20
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अनेकान्त 65/2, अप्रैल-जून 2012 और विवेच्य मंदिर में अभी प्रतिष्ठित है) यहाँ के एक लेख में किसी दर्शनार्थी के आगमन की तिथि का लेख "ज्येष्ठ ३, संवत् ११०३" है। 20 झालरापाटन में ही जैनधर्म की एक निषेधिका (मृत्युस्थल) है। इसे सात सलाका की पहाड़ी कहते है। यहाॅ के एक पाषाण स्तम्भ पर संवत ११०९ के अभिलेख में श्रेष्ठी पापा की मृत्यु का उल्लेख पठन में आता है। चूंकि उक्त जैन मंदिर के निर्माता भी श्रेष्ठी पापा ही थे, अतः सम्भव है कि यह स्तम्भ भी उसी व्यक्ति का ही हो। यहां के एक अन्य स्तम्भ पर संवत् १११३ के लेख में श्रेष्ठी साहिल की मृत्यु का नामोल्लेख है। सम्भवत् श्रेष्ठी पापा और श्रेष्ठी साहिल के मध्य पारिवारिक सम्बन्ध हो । यहां एक निषेधिका पर संवत् १०६६ का अभिलेख है, जिसमें जैनाचार्य श्री भावदेव के शिष्य श्रीमंतदेव के स्वर्गलोक पधारने का उल्लेख मिलता है। इसमें उक्त जैनाचार्य का चित्र भी ऊकरा हुआ है। इसमें आचार्य का मुख अध्ययन स्थिति में है। उनके समक्ष एक ग्रन्थ खुली अवस्था में ठूणी पर रखा है, जो पढ़ने हेतु डेस्क का काम देता है। इसके निकट ही एक चबूतरे पर देवेन्द्र आचार्य का एक लेख है जिसमें उनका समय संवत् ११८० दिया हुआ है। एक अन्य स्तम्भ लेख में कुमुद चन्द्र आम्नाय के भट्टारक कुमार सेन का नाम दिया है, जिनका स्वर्गवास १२८९ में मूल नक्षत्र में गुरुवार को हुआ था । यहाँ का एक अन्य अभिलेख संवत् २००९ का है। इसमें जैनाचार्य नेमिदेवाचार्य और बलदेवाचार्य का उल्लेख है। इसी स्तम्भ पर संवत् १२४२ के अभिलेख में मूलसंघ और देवसंघ के उल्लेख पठन में आते है ।४ झालरापाटन के चन्दाप्रभू जैन मंदिर में १० वें तीर्थकर शीतलनाथ स्वामी की एक मूर्ति प्रतिष्ठित है। इस मूर्ति पर एक अभिलेख है, जो इस प्रकार है: संवत् १५५२ वर्षे जेठ बदी ८ शनिवासरे श्री काण्ठा संघे बागडगच्छे (नंदी तपगच्छे) विद्यागच्छे भ. विमलसेन स्तत्पट्टे भ. श्री विजयसेन देवास्तत्पट्टे आचार्य श्री विशालकीर्ति सहित हुबड़ जाति परमेश्वर गौत्रे सा. गोगा भा. वावनदेपुत्र पंच, सा. कान्ह, सा. करमसी, भा. गारी कनकदे साह कालू भा. जीरी, साधेधर भा आदे. सा. गोगा भा गांगादे, तेनेंद शीतलनाथस्य विम्बं निमाप्य प्रतिष्ठाकर पिता पुत्री २, बाई माही, बाई पुतली । झालावाड़ और झालरापाटन के मध्य स्थित है गिन्दौर गाँव। यहाँ जैनधर्म की नसियां है। इसमें बायीं ओर की बेदी में हल्के लालवर्ण की तीर्थंकर पार्श्वनाथ की मूर्ति प्रतिष्ठित है। इस पर इसके प्रतिष्ठाकाल का एक लेख संवत् १२२६ ज्येष्ठ सुदी १० बुधवार का अंकित है। इसी प्रकार उक्त मूर्ति के निकट की अन्य तीर्थकर मूर्तियों पर संवत् १५४५, संवत् १६६५ तथा संवत् १६६९ के अभिलेख है, जो इनके प्रतिष्ठाकाल के प्रमाण लेख है। ज्ञातव्य कि झालरापाटन जैनधर्म का मध्ययुग में बड़ा केन्द्र रहा है। यहाँ की नसियां के बाहर की तिबारी पर एक लेख का अंकन है । " श्री संतनाथ जी महाराज मिति जेठ बदी ३ सम्वत १९१० (१८५३ ई.) का उसतो देवराम बेटा गणेसराम बांचे जासे राम राम बर्थजो"
SR No.538065
Book TitleAnekant 2012 Book 65 Ank 02 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2012
Total Pages288
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy