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ऐसा सुमरन कर मेरे भाई
ऐसो सुमरन कर मेरे भाई, पवन थंभै मन कितहूँ न जाई।।
परमेसुर सों सांच रहीजै
लोकरंजना भय तज दीजै।। ऐसो.. जप अरू नेम दोउ विधि धरै, आसन प्राणायाम संभारै।
प्रत्याहार धरना कीजै,
ध्यान समाधि महारस पीजै। ऐसो.. सो तप तपो बहुरि नहिं तपना, सो जप जपो बहुरि नहिं जपना।
सो व्रत धरो बहरि नहिं धरना
ऐसे मरो बहुरि नहिं मरना। ऐसो... पंच परावर्तन लखि कीजै, पांचों इन्द्रियन को न पतीजै।
"द्यानत" पांचों लच्छि लहीज, पंच परम गुरू शरन गहीजै।। ऐसो...
- द्यानतराय