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________________ 44 मौर्य सम्राट् चन्द्रगुप्त चन्द्रगुप्त एक विस्तृत प्रदेश का स्वामी बन गया था, जो पूर्व में मगध और बंगाल से पश्चिम में एरियाना के पूर्वी क्षत्रय प्रदेश तक फैला हुआ था। पाटलिपुत्र और प्रसिआई के राजा का प्रभुत्व गंगा के सभी प्रदेशों तक ही नहीं, बल्कि सिंध के किनारे के प्रदेशों पर भी था, जिन पर कभी ईरान का राजा और सिकन्दर शासन कर चुके थे। पश्चिम के महत्त्वपूर्ण प्रान्त सौराष्ट्र और काठियावाड़ की विजय और उसे अधीन कर लेने के सम्बन्ध में रुद्रदामन के जूनागढ़ शिलालेख का प्रमाण अवश्य है, जिसमें चन्द्रगुप्त के राष्ट्रीय पुष्यगुप्त वैश्य द्वारा सुदर्शन झील के निर्माण का उल्लेख आया है। इस प्रदेश के मगध साम्राज्य में सम्मिलित होने से अवन्ति या मालवा पर मौर्य अधिकार अवश्य प्रकट है। जैन लेखकों ने अवन्ति के पालक उत्तरा पालक उत्तराधिकारियों में मूरियों अथवा मौर्यों की गणना की है। चन्द्रगुप्त के पोते अशोक के समय में मौर्य साम्राज्य की सीमायें उत्तर मैसूर तक पहुंच गई थीं। अशोक ने मात्र एक प्रदेश कलिंग पर विजय का दावा किया है। अतः तुंगभद्रा के पार साम्राज्य के विस्तार श्रेय उसके पिता बिन्दुसार या पितामह चन्द्रगुप्त को रहा होगा। कतिपय मध्यकालीन अभिलेखों में मैसूर के कतिपय भागों के चन्द्रगुप्त द्वारा रक्षित होने का उल्लेख आया है। ईसा की प्रथम शताब्दी के अनेक तमिल लेखक 'मोरियार' द्वारा हिमाच्छादित गगनचुंबी पहाड़ के लॉघने के निर्देश करते हैं। ई.पू. तीसरी शताब्दी में चितलद्रुग जिला दक्षिण में मौर्य साम्राज्य का सीमांत था। चन्द्रगुप्त ने देश को विदेशी दासता से मुक्ति दिलाई थी। वह एक ऐसे साम्राज्य का निर्माता था, जिसमें सारा भारत तो नहीं, किन्तु उसका अधिकांश भाग आ गया था। भद्रशाल और सेल्यूकस के विजेता चन्द्रगुप्त की सेना में 6 लाख पैदल, 30 हजार घुड़सवार और 8 या 9 हजार हाथी थे। जैसे ही स्थिति सामान्य हो गई, वह शान्ति का पुजारी बन गया।" सिकन्दर के आक्रमण के बाद उसके सेनानियों मे युनानी साम्राज्य की सत्ता के लिए संघर्ष हुआ, जिसके परिणामस्वरूप सेल्यूकस पश्चिमी एशिया में प्रभुत्व के मामले में एन्टिगोनस का प्रतिद्वंदी हो गया। ई.पू. 312 में उसने बेबीलोन पर अपना अधिकार स्थापित किया। इसके बाद ईरान के विभिन्न भागों को जीतकर उसने वैक्ट्रिया पर अधिकार कर लिया। अपने पूर्वी अभियान के दौरान वह भारत की ओर बढ़ा। ईस्वी पूर्व 305-4 में काबुल के मार्ग से होते हुए वह सिन्धु नदी की ओर बढ़ा। उसने सिन्धुनदी पार की और चन्द्रगुप्त की सेनाओं से उसका सामना हुआ। किन्तु इस समय राजनैतिक परिस्थिति भिन्न थी। पंजाब और सिन्ध परस्पर युद्ध करने वाले राष्ट्रों में विभक्त नहीं थे, बल्कि एक साम्राज्य के अंग थे। सेल्यूकस ने चन्द्रगुप्त से युद्ध छेड़ा, किन्तु अन्त में उनमें संधि हो गयी और वैवाहिक संबन्ध स्थापित हो गया। सैल्यूकस ने चन्द्रगुप्त को चार प्रांत एरियन, अराकोसिया, जेड्रोसिया और पेरीपेमिसदाई (अर्थात् काबुल, कंधार, मकरान और हैरात प्रदेश दहेज में दिए। प्लूटार्क के अनुसार चन्द्रगुप्त ने सेल्यूकस को 500 हाथी उपहार में दिए। सम्भवतः इस संधि के परिणामस्वरूप ही हिन्दुकुश मौर्य साम्राज्य और सेल्यूकस के बीच राज्य की सीमा बन गया, जिसके लिए अंग्रेज तरसते रहे और जिसे मुगल सम्राट भी पूरी तरह प्राप्त करने में असमर्थ रहे। वैवाहिक सम्बन्ध से मौर्य सम्राटों और सेल्यूकस राजाओं के बीच
SR No.538064
Book TitleAnekant 2011 Book 64 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2011
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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