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________________ अनेकान्त 64/2, अप्रैल-जून 2011 वृत्ति से व्यावहारिक जीवन की सैकड़ों उलझनें सुलझ जायेगी। जीवन में कलह, विवाद कम होंगे जिससे शांतिमय जीवन होगा। आदर्श जीवन मैत्री, प्रमोद, करुणा एवं माध्यस्थ भाव से मानव धर्म की पृष्ठभूमि तैयार होती है। साधक धर्म का बीज मन की भूमिका सद्भावों, मैत्री आदि भावनाओं से धर्म के योग्य बनाने पर व्रत, नियम, त्याग आदि के बीज सरलता व शीघ्रता से अंकुरित होते हैं। मानव जीवन उत्तरदायित्वों का जीवन है। गृहस्थ जीवन का क्षेत्र व्यापक, उत्तरदायित्व असीम है। परिवार, समाज, धर्म एवं राष्ट्र आदि के दायित्वों का निर्वाह करने में मानव धर्म की कुशलता है। यह साधु जीवन का भी आधार है। व्यक्ति प्रत्येक क्षेत्र में अपने कर्त्तव्य निष्ठापूर्वक करके आदर्श जीवन-यापन करता है। सम्यक् आजीविका:- आचार्य भद्रबाहु कहते हैं___"सच्छासयप्पओगा अत्थो वीसंभओ कामो।" अर्थात् स्वच्छ आशय प्रयुक्त अर्थ मर्यादानुकूल काम धर्म विरोधी नहीं है। सद्गृहस्थ "न्यायसम्पन्न विभवः" न्याय-नीतिपूर्वक अर्थोपार्जन। "न्यायोपात्तं हि वित्तमुभयलोक हितायेति....''१६ न्यायोपात्तधनो यजन्! गुणगुरून् सदीस्त्रिवर्ग भजन। और भी कहा है“अन्यायोपार्जितं वित्तं दशवर्षाणि तिष्ठति। प्राप्ते त्वेकादशे वर्षे समूलं च विनश्यति॥" बौद्धधर्म में आष्टांगिक मार्ग में पाँचवां मार्ग सम्यक् आजीव अर्थात् न्यायपूर्वक जीविका चलाना। नीति एवं न्यायपूर्वक व्यापार करके जीविका चलाने वाला श्रावक 'धम्माजीवी' है। "सम्यक्-प्रतिपत्तिः सम्पत्तिः" अर्थात् जो न्यायपूर्ण शुद्ध एवं सही तरीके से प्राप्त होती है वह संपत्ति है। गांधीजी का दृढ़संकल्य हमेशा सत्य बोलना। सत्य में साहस होता है, असत्य में कायरता। सत्य में स्पष्टता होती है असत्य में छिपाव। अन्याय छिपाव और कायरता का मार्ग है। असत्य से आत्मपतन होता है, जीवन का विकास रुक जाता है। साधक के मन में जब सत्य की अटूट निष्ठा होती है तो ईश्वर हृदय में विराजमान होता है। यही मानव धर्म का सार है। कहा है "ग्रंथ पंथ सब जगत् के बात बतावत तीन। राम हृदय, मन में दया, तन सेवा में लीन॥" इस प्रकार हृदय की पवित्रता, सद्गुणों के द्वारा आदर्श जीवन एवं सम्यक् आजीविका से मानव धर्म की पृष्ठभूमि तैयार होती है।
SR No.538064
Book TitleAnekant 2011 Book 64 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2011
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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