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________________ 94 अनेकान्त 63/1, जनवरी-मार्च 2010 आचार्य जुगलकिशोर मुख्तार स्मृति व्याख्यानमाला (२७ दिस.२००९) एक रिपोर्ट सर्वोदय की अवधारणा का मूल स्रोत भगवान महावीर -प्रो. रामजी सिंह 27 दिसम्बर, 2009, आचार्य श्री जुगल किशोर जी मुख्तार संस्थापक वीर सेवा मंदिर शोध संस्थान, नई दरियागंज दिल्ली में उनकी पुण्य स्मृति में समायोजित व्याख्यानमाला के अन्तर्गत 'भगवान् महावीर और उनका सर्वोदय तीर्थ' विषय पर विस्तृत प्रकाश डालते हुए प्रमुख वक्ता प्रो. रामजी सिंह, भागलपुर ने आचार्य श्री जुगल किशोर जी की सतत वाड्.मय साध ना को स्मरण करते हुए कहा कि मुख्तार जी तन से भले ही मुनि न रहे हों, परन्तु साहित्यसपर्या और अनुसंधान के क्षेत्र में वे निरपेक्ष बनकर साधना करते रहे। उनका अवदान किसी तपःपूतं आचार्य से किंचित मात्र भी कम न था। उनका यह संस्थान उनकी ज्ञान-आराधना का शाश्वत तीर्थ है और उनके अवदान को रेखांकित करने के लिए पृथक अनुसंधान तथा प्रचार-प्रसार की आवश्यकता है। भगवान महावीर के सर्वोदय तीर्थ तथा प्रचार-प्रसार की आवश्यकता है। भगवान् महावीर के सर्वोदय तीर्थ की चर्चा करते हुए प्रो. सिंह ने कहा कि सर्वोदय की अवधारणा का मूल स्रोत भगवान् महावीर और उनकी आचार्य परंपरा से ही भारतीय संस्कृति को प्राप्त हुआ है। आचार्य समन्तभद्र ने सर्वप्रथम भगवान् महावीर की स्तुति करते हुए कहा है कि "सर्वोदयं तीर्थ मिदं तवैव"। उपस्थित विशाल जन समुदाय और प्रबुद्धजनों को यह तथ्य बतला कर उन्होंने विस्मय में डाल दिया कि जब उन्होंने इस बात को जानना चाहा कि सर्वोदय शब्द कहाँ से आया तब वे अनेक उपलब्ध शब्दकोषों में भी सर्वोदय शब्द को न पाकर हैरान रह गए। अन्ततः आचार्य समन्तभद्र की स्तुति में यह शब्द मिला जिसका आधार अहिंसा, अनेकान्त और अपरिग्रह के सिद्धांत पर प्रतिफलित हुआ है। आचार में अहिंसा, विचार में अनेकान्त से ही आर्थिक-सामाजिक-राजनीतिक लोकतंत्र की परिकल्पना सार्थक हो सकती है। मात्र राजनैतिक लोकतंत्र जन-जीवन के प्रति छलावा के अतिरिक्त कुछ नहीं। यदि भारत में वास्तविक लोकतंत्र की स्थापना करनी है तो सम्यक् श्रद्धा सम्यक्ज्ञान और तदनुरूप आचरण से ही संभव है। इतना ही नहीं, वैश्विक स्तर पर भी अनेकान्त दृष्टि और अहिंसक सद् आचरण के बल पर सुख-शांति को
SR No.538063
Book TitleAnekant 2010 Book 63 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2010
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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