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अनेकान्त 63/1, जनवरी-मार्च 2010
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5.
दशवैकालिक : एक समीक्षात्मक अध्ययन, वाचना प्रमुख आचार्य तुलसी, विवेचन सम्पादक-मुनि नथमल, जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा, 3 पोर्चुगीज चर्च स्ट्रीट, कलकत्ता-1, गाथा-9/4/7 इसिभासियाई सुत्ताई : सम्पादक -महोपाधयाय विनयसागर, प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर, मार्च 1988, गाथा-17/2
6.
7.
समणसुत्तं -290
8.
क्षत्रचूडामणि : वादीभसिंह सूरि, अनुवादक पं0 मोहनलाल शास्त्री, भारतवर्षीय अनेकान्त विद्वत् परिषद्, 1998, श्लोक सं. 2/30
9. समणसुत्तं 176 10. समणसुत्तं-29 11. क्षत्रचूडामणि-2/31
जैनेन्द्र सिद्धान्त कोष (भाग -3) : क्षु० जिनेद्र वर्णी, भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन, नई दिल्ली,
2002 देखें पृ.सं. 548 13. भगवती आराधाना : आचार्य शिवकोटि, सम्पादक -उपाधयाय मुनि श्री निर्णयसागर जी, श्री
निग्रन्थ ग्रन्थमाला, दिल्ली, 2008, शलोक सं. -112 14. समणसुत्तं-170 15. समणसुत्तं-266 16. समणसुत्तं-172,173
17. "It is not about moral Education of a list of dos and don'ts. We want our
students to experiment but at the same time be responsible for their experiments. We want them to transcend the self imposed limitations and achieve their full potential" The Hindu - Oct. 2009
18. जैन धर्म और अभिनव अध्यात्म : प्रो0 वस्तुपाल पारीख, हिन्दी अनुवादक - प्रो0 भारती जोशी