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अनेकान्त 63/1, जनवरी-मार्च 2010
8. योगसूत्र 2.9 तथा उपाध्याय अमरमुनि, योगशास्त्र-एक परिशीलन, सन्मति ज्ञानपीठ,
आगरा, 1963, पृ.41 9. आवश्यक नियुक्ति तथा आवश्यकचूर्णि, गाथा 1524 10. योगशास्त्र 6.4, 5.5 11. 'जैनदृष्ट्वा परीक्षितं पातंजलि योगदर्शनम्' 2.55, उद्धृत अध्यात्मसार, उपाध्याय
यशोविजय। 12. अशस्तिलक चम्पू- सोमदेव 8.256 13. दशवैकालिकसूत्र, मधुकर मुनि, पृ. 57 14. कषायपाहुड, अनु, पं. हीरालाल जैन सिद्धांतशास्त्री, श्री वीरशासन संघ कलकत्ता,
___1955, 1.2 15. स्वविषयासम्प्रयोगे चित्तस्य स्वरुपानुकार इवेन्द्रियाणां प्रत्याहारः। योगसूत्र 2.54 16. ज्ञानार्णव 1467.68 17. योगशास्त्र 6.7 18. देशबन्धश्चित्तस्य धारणा। योगसूत्र 3.1 19. तत्र प्रत्ययैकतानता ध्यानम्। वही, 3.2 20. तदेवार्थमात्रनिर्भासं स्वरुपशून्यमिव समाधिः। वही 3.3 21. तत्त्वार्थसूत्र- उमास्वाति 29.25 22. योगशास्त्र 4.115 23. ध्यानशास्त्र-5, आदिपुराण-21.27-29, तत्त्वानुशासन-34 24. ज्ञानार्णव- शुभचन्द्र 3.28 25. परे मोक्षहेतु। उमास्वाति त.सं.- 9.30 26. तत्र शब्दार्थज्ञानविकल्पैः संकीर्णा सवितर्का समापत्तिः। योगसूत्र 1.42 27. समृतिपरिशुद्धौ स्वरुपशून्येवार्थमात्रनिर्भासा निर्वितर्का। योगसूत्र 1.43 28. ज्ञेयं नानात्वश्रुतविचारमैक्य- श्रुताविचारं च। सूक्ष्म-क्रियामुत्सन्न-क्रियमिति
भैदेश्चतु तत्। योगशास्त्र 11.5 29. एतयैव सविचारा निर्विचारा च सूक्ष्मविषया व्याख्याता। वही 1.44
- प्रवक्ता, एस. डी. कालेज
मुजपफरनगर (उत्तरप्रदेश)