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________________ अनेकान्त 63/2, अप्रैल-जून 2010 देश के हेमकच्छ नगर के सूर्यवंशी राजा दशरथ से सुप्रभा का विवाह हुआ। गान्धार देश के महीपुर नगर के राजा सत्यक ने ज्येष्ठा नाम की पुत्री से विवाह की याचना की जिसे राजा चेटक ने अस्वीकार की। तदनंतर कुपित सत्यक ने युद्ध किया और पराजित हुआ। मानभंग होने पर सत्यक ने दिगंबर मुनिराज से दीक्षा ले ली। राजगृही का राजा श्रेणिक चेलना और ज्येष्ठा के चित्रों पर अनुरक्त हो उनसे विवाह करने का प्रस्ताव राजा चेटक के समक्ष रखा जिसे चेटक ने अस्वीकार किया। श्रेणिक के मंत्रियों ने श्रेणिक के पुत्र अभयकुमार को यह बात बताई। राजकुमार अभय ने बोद्रक व्यापारी का रूप धारण कर राजा चेटक के महल में प्रवेश किया और चेलना तथा ज्येष्ठा को श्रेणिक के प्रति आसक्त कर सुरंग मार्ग से राजगृही लाया। चेलनी कुटिल थी उसने ज्येष्ठा को आभूषण लाने के बहाने वापिस भेज दिया और अकेली राजगृही आयी। राजा श्रेणिक ने उससे विवाह रचाया। चेलनी से ठगी गयी ज्येष्ठा दुखी हुई और अंत में अपनी मामी यशस्वती नाम की आर्यिका के पास दीक्षा धारण कर ली। चन्दना के सौन्दर्य पर मोहित हो कर राजा मनोवेग विद्याधर ने उसका अपहरण किया और पत्नी भय से उसे वन में छोड़ दिया। एक कालक भील ने चन्दना को सिंह नामक भीलराजा को सौंप दिया। भील राजा ने चन्दना को अपने मित्र मित्रवीर को दे दी। मित्रवीर ने भारी धन प्राप्त कर अपने स्वामी सेठ वृषभसेन (कौशाम्बी) को सौंप दी। सेठ की पत्नी भद्रा ने चन्दना को सांकल से बांध कर बंदी गृह में डाल दिया। किसी समय महावीर वहां से आहार हेतु गमन कर रहे थे। चन्दना के मन में उन्हें आहार देने की भावना हुई। वह भक्ति भावपूर्वक आगे बढ़ी। आगे बढ़ते ही उसकी सांकल टूट गयी और आभूषणों से उसका शरीर सुंदर दिखने लगा। चंदना ने विधिपूर्वक मुनिराज महावीर को पडगाहा और आहार दिया। आहार दान के प्रभाव से देवों ने पंच-आश्चर्य किये। मृगावती चंदना को अपने महल में ले गयी। तत्पश्चात् चंदना ने आर्यिका दीक्षा ग्रहण की और महावीर के चतुर्विध संघ में आर्यिका प्रमुख बनीं। दिगम्बर परम्परानुसार वैशाली के लिच्छवी गणराज्य के अधिपति चेटक महावीर वर्द्वमान के नाना होते हैं और मगधाधिपति श्रेणिक बिम्बसार उनके मौसा होते हैं। श्वेताम्बर परंपरा में विदेहदत्ता।" उनकी माता त्रिशला का नाम था। यह नाम उनकी माता को इसलिए प्राप्त हुआ था, क्योंकि माता त्रिशला विदेह देश की नगरी वैशाली के गणसत्ताक राजा चेटक की बहिन थी। इस प्रकार श्वेताम्बर परंपरा में राजा चेटक महावीर के मामा होते हैं। आवश्यकचूर्णि' के अनुसार वैशाली नगरी के हैहयवंशी राजा चेटक की विभिन्न रानियों से सात पुत्रियां हुई, जिसके नाम थे- प्रभारती, पद्मावती, मृगावती, शिवा, ज्येष्ठा, सुज्येष्ठा और चेलणा। गिलगिट में नारिक्रप्टस में वैशाली के संदर्भ में दो कथाओं का उल्लेख है। पहली कथा बिम्बसार और चेलना के विवाह की है। इसमें अजातशत्रु की माता चेलना को लिच्छवियों के सेनापति सिंह की पुत्री और बिम्बसार के मुख्यमंत्री गोपा की भतीजी बताया है। दूसरी कथा में आम्रपाली को महानाम के भद्र लिच्छवी की दत्तक पुत्री बताया है जो बाद में गणिका बनी। आम्रपाली का बिम्बसार से संपर्क हुआ और उससे अभयकुमार उत्पन्न
SR No.538063
Book TitleAnekant 2010 Book 63 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2010
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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