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________________ अनेकान्त 63/2, अप्रैल-जून 2010 छक्खंडागम की वीरसेनाचार्यकृत धवला टीका में भगवान महावीर का गर्भ एवं जन्म स्थल कुण्डपुर दर्शाया है, जो इस प्रकार है 4. 'आसाढ़ जोण्णपक्खघटठीए कुण्डपुरणगुरहिव णाहवेस सिद्धताणरिंदस्स तिसिला देवीए गव्भमागत्ण तत्थ अटदिवसाहियणवमासे। आच्छेय चइत्त-सुक्लपक्खरेरसीए उत्तराफग्गुणीणक्चात्ते गम्भादोणिक्खंतो।' (वीर सेनाचार्य, धवला टीका, खण्ड 4, पुस्तक 9:4-144, पृ.121) अर्थ- आषाढ़ शुक्ल पक्ष षष्ठी के दिन कुण्डपुर नगर के अधिपति नाथवंशी सिद्धार्थ नरेन्द्र की त्रिशला देवी के गर्भ में आकर और वहां आठ दिन अधिक नौ मास रहकर चैत्र शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी की रात्रि में उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में गर्भ से बाहर आये! कषायपाहुड़ की जयधवला टीका भाग-1 पृष्ठ 76-77 में वीरसेनाचार्य ने उक्त पंक्तियां यथावत लिखी है और 'कुण्डपुर' को ही भगवान महावीर का जन्म स्थल दर्शाया है। परवर्ती लेखकों ने जयधवला में कहीं कुण्डपुर के स्थान पर 'कुण्डलपुर' लिखकर भ्रम उत्पन्न किया है। आचार्य दामनन्दि (11वीं शती ई.) ने पुराणसार संग्रह में विदेह-कुण्डपुर को जन्म भूमि दर्शाया है, यथा 5. अथाऽस्पिन् भारतेवर्षे विदेहेषु महर्द्धिषु। __ आसीत्कुण्डपुरं नाम्नां पुरं सुरपुरोत्तमम्॥ (आ. दामनन्दि, पुराणसार संग्रह-2, वर्धमान च.4/1 पृष्ठ 188 अर्थ- अथानन्तर इसी भरतक्षेत्र में विदेह नाम का समृद्धि-शाली देश है, वहां देवों के नगरों से भी बढ़कर कुण्डपुर नाम का नगर था। 6. च्युत्वाविदेहनाथस्य सिद्धार्थस्याड्.गजोऽजनि। सोऽत्र कुण्डपुरे शक्रः कृत्वामिषवणादिकम्॥ पं. आशाधर जी (13वीं शती ई.), त्रिषष्टिस्मृतिशास्त्र, 24/24 पृ. अर्थ- पुष्पोत्तर विमान (स्वर्ग) से च्युत होकर विदेह देश के राजा सिद्धार्थ व प्रियकारिणी के गर्भ से कुण्डपुर में महावीर नाम से जन्में। इन्द्र ने अभिषेकादि कार्य किये।' 7. श्वेताम्बर साहित्य में भगवान महावीर का जन्म कुण्डग्राम, उत्तर क्षत्रियकुण्डपुर, कुण्डपुर (वैदेह) में होना दर्शाया है। "कल्पसूत्र में लिखा है कि श्रमण भगवान....ज्ञातृक्षत्रिय ज्ञातृ क्षत्रिय के पुत्र ज्ञातृवंश के चन्द्रमणि, विदेह, विदेहदत्ता का पुत्र, विदेह निवास, विदेह का राजकुमार-विदेह में जबकि उनके माता- पिता का देहान्त हुआ तब तक तीस वर्ष रह चुके थे।" -विणीय णाए णायपुत्ते णायकुलचंदे विदेहे, विदेह दिण्णे विदेहज्च्चे विदेह सूमाले तीसेवासाइं विदेहसिं कटटु (कल्पसूत्र 5/11)। आचारांग सूत्र में भी उक्तानुसार पाठ से मिलता-जुलता कथन किया है।' उक्त प्रमाणों से स्पष्ट है कि भगवान महावीर ज्ञातृकुल में उत्पन्न हुए थे, वे
SR No.538063
Book TitleAnekant 2010 Book 63 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2010
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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