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________________ लिच्छवि गणराज्य की विभूति भगवान महावीर का विश्व को दिव्यावदान - डॉ. राजेन्द्र कुमार बंसल वैशाली 'जन' का प्रतिपालक, 'गण' का आदि विधाता। जिसे ढूंढता देश आज, उस प्रजातंत्र की माता॥ रुको एक क्षण, पथिक! यहाँ मिट्टी को सीस नवाओ। राज-सिद्धियों की समाधि पर, फूल-चढ़ाते जाओ। -राष्ट्रकवि स्व. श्री रामधारी सिंह दिनकर 'वैशाली' के प्रति भावपूर्ण श्रद्धांजलि। भगवान महावीर की जन्म भूमि; वासोकुण्डः वैशाली प्राणीमात्र के प्रति दया और अभय-दान, मानव जीवन का चरमोत्कर्ष- सत्य एवं अहिंसा की साधना और आत्मा में परमात्मा का दर्शन कराने वाले भगवान महावीर का जन्म ईसा पूर्व 599 में वासोकुण्ड- वैशाली में हुआ था। जैन आगम में भगवान महावीर का जन्म भरतक्षेत्र के विदेह-कुण्डपुर' में होना सर्वत्र लिखा है। उनके जन्म स्थल से संबन्धित कुछ संदर्भ इस प्रकार हैं: 1. सिद्धार्थनृपतितनयो भारतवास्ये विदेहकुण्डपुरे। देव्यां प्रियाकारिण्यां सुस्वप्ननान् संप्रदर्श्य विभुः॥ -आचार्य पूज्यपादः दशभक्ति निर्वाणभक्ति, पद्य-4 (5वीं. शती ई.) अर्थ- भगवान महावीर का जीव भारतवर्ष के विदेह देश के कुण्डपुर नगर में श्रेष्ठ स्वप्नों को दर्शा कर प्रियकारिणी देवी और सिद्धार्थ राजा का पुत्र हुआ। 2. तस्मिन्षण्मासशेषायुष्यानाकादागमिष्यति। भरतेऽस्मिन्विदेहाख्ये विषये भवनांगणे॥ राज्ञः कुण्डपुरेशस्य वसुधारापतत्प्रभु। सप्तकोटिर्मणिः सार्धा सिद्धार्थस्य दिनम्प्रति॥ -आचार्य गुणभद्र, उत्तर पुराण, 74/251-252 पृ. (9वीं शती ई.) अर्थ- जब अच्युतेन्द्र की आयु छह महिने शेष रही और वह स्वर्ग से च्युत होने उद्यत हुआ, तब इसी भरतक्षेत्र के विदेह नामक देश-संबन्धी कुण्डपुर नगर के राजा सिद्धार्थ के भवन के आंगन में प्रतिदिन साढ़े सात करोड़ रत्नों की मोटी धारामय वर्षा होने लगी।
SR No.538063
Book TitleAnekant 2010 Book 63 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2010
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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