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________________ अनेकान्त 62/3, जुलाई - सितम्बर 2009 विषय है कि पेरिस से जारी होने वाला यह इन्टरनेशनल स्टेण्डर्ड सीरियल नम्बर 'अनेकान्त' को इसका स्तर देखकर प्राप्त हो चुका है। जहाँ कतिपय शोध पत्रिकायें राशि लेकर आलेख प्रकाशित कर रही हैं, वहाँ अनेकान्त अच्छे आलेखों को मानदेय भी प्रदान कर रहा है। संस्था की यह उदारता अनुसंधान प्रेमियों को प्रमोद प्रदान कर रही है। मैं आह्वान करता हूँ उन अनुसंधित्सुओं का, जो प्राच्य विद्याओं में रूचि रखते हैं, वे जैन विद्या एवं प्राकृत के क्षेत्र से भी जुड़ें तथा भारतीय संस्कृति के सर्वाग संरक्षण में अपना महत्त्वपूर्ण अवदान दें। जैन विद्याओं के क्षेत्र में न केवल प्राच्य अपितु पाश्चात्य विद्वानों की गंभीर रूचि रही है। विदेशी शोधार्थी साधनों के अभाव में हतोत्साहित न हों, इस बात का संस्था सतत ध्यान रख रही है। इस सन्दर्भ में प्रो. एम.एल.जैन, साहू आर.पी.जैन एवं श्री योगेश जैन तथा संस्था के अन्य पदाधिकारियों के सम्मिलित प्रयास सफलीभूत हो रहे हैं । पिछले 5 वर्षो में जिन विदेशी विद्वानों ने हमारे ग्रन्थागार का अवलोकन एवं उपयोग किया है, उनमें प्रो. क्रामवेल हवाई, प्रो. अन्ने वैली-कनाडा, डॉ सबीने स्काल्ज-जर्मनी, प्रो. नटालिया-मास्को, डॉ भुवनेन्द्र कुमार-कनाडा, डॉ जेनेट गुन-कनाडा, डॉ अरान ग्रास-कैलिफोर्निया और डॉ. पी.बी. गाडा-टैक्सास प्रमुख हैं। यहाँ मैं यह विशेष रूप से उल्लेख करना चाहूँगा कि जैन साहित्य एवं इतिहास, प्राच्य विद्याओं का अन्तःशास्त्रीय अध्ययन तथा अहिंसा एवं शाकाहार में रूचि रखने वाला किसी भी देश का किसी भी जाति या समुदाय का कोई भी व्यक्ति यहाँ अपने अनुसंधान के लिए आवास एवं ग्रन्थागार की सुविधा नि:शुल्क प्राप्त कर सकता है। वातानुकूलित सभागार संस्था के पास अपने नवीनीकृत विशाल भवन में एक वातानुकूलित विशाल सभागार है। इसमें विभिन्न अकादमिक, सामाजिक एवं धार्मिक गतिविधियों का आयोजन होता रहता है। वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग, उच्चतर शिक्षा विभाग, मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार ने अपनी प्राच्य धर्म-दर्शन परिभाषा कोश योजना में जैन धर्म दर्शन परिभाषा कोश के निर्माण में इस सभागार का एवं संस्था के ग्रन्थागार का अनुसंधान हेतु अनेक बार उपयोग किया है। यह ग्रन्थ पूर्णतया कम्पोज होकर संशोधित किया जा चुका है तथा शीध्र ही प्रकाशित होने वाला है। इस कोश के निर्माण में एक मानद सदस्य के रूप में मुझे भी सहभगिता का अवसर प्राप्त हुआ है इस कार्य में श्री सुभाष जैन-शकुन प्रिंटर्स महामंत्री वीर सेवा मंदिर का अविस्मरणीय सहयोग मिला है। विशेष व्याख्यानमाला श्रतु पंचमी पर्व के पावन प्रसंग पर संस्था की कार्यकारिणी समिति के निर्णयानुसार वातानुकूलित सभागार में दिनांक 31 मई 2009 को एक राष्ट्रीय व्याख्यान माला का आयोजन किया गया, जिसका विषय जैन विद्या एवं प्राकृत साहित्य समीक्षा रहा, इस कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री सी.के. जैन - पूर्व महासचिव लोकसभा ने की । मुख्य अतिथि के रूप में
SR No.538062
Book TitleAnekant 2009 Book 62 Ank 03 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2009
Total Pages192
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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