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________________ अनेकान्त 60/1-2 85 10. रत्नकरण्डश्रावकाचार, 124-128 11. उपासकाध्ययन, 863 12. भगवती आराधना, 403-404 13. तस्स ण कप्पदि भत्तपइण्णं अणुवट्ठिदे भये पुरदो। सो मरणं पच्छितो होदि हु सामण्णणिविण्णो।। वही, 75 14. वहीं 74 एवं विजयोदया टीका, 74 15. वही, 254 17. भगवती आराधना 255-257 18. धवला 1/1/1 19. चारित्रसार, 154 20. भगवती आराधना, 28 21 तत्त्वार्थ सूत्र, 7/20-22 22. तत्त्वार्थराजवार्तिक, 7/22 23 पुरुषार्थसिद्ध्युपाय, 176 24. पुरुषार्थानुशासन, 6/113 25. वही, 6/114-116 26 तत्त्वार्थगजवार्तिक, 7/22 27. सागरधर्मामृत, 8/23 28. भगवती आराधना, 630 29. वही, 1936-1939 30. रत्नकरण्डश्रावकाचार, 130-131 31. पुरुषार्थ सिद्ध्युपाय, 175 32 उपासकाध्ययन, 865-866 33. लाटीसंहिता, 5/235 34. दृष्टव्य- उमास्वामिश्रावकाचार, 463 श्रावकाचारसारोद्धार, 3/151 पुरुषार्थानुशासन, 6/111, कुन्दकुन्दश्रावकाचार 12/4 आदि 35 मुक्तिपथ के बीज - रीडर, संस्कृत विभाग एस.डी. कॉलेज मुजफ्फरनगर
SR No.538060
Book TitleAnekant 2007 Book 60 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2007
Total Pages269
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
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