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अनेकान्त 59/3-4
समुचित वितरण करो अन्यथा धनहीनों में चोरी के भाव जागते हैं, जागे हैं चोरी मत कर, चोरी मत करो यह कहना केवल धर्म का नाटक है उपरिल सभ्यता उपचार चोर इतने पापी नहीं होते जितने कि चोरों को पैदा करने वाले तुम स्वयं चोर हो चोरों को पालते हो
और चोरों के जनक भी।"२६
शेक्सपियर ने लिखा है कि- Gold is worse pain on the man in souls doing more murders in this world than any mortal drug.
अर्थात् सोना (स्वण) मनुष्य की आत्मा को अत्यधिक रूप से दुखी करता है। किसी मरणदायक औषधि की अपेक्षा सोने के कारण संसार में अधिक हत्यायें हुई हैं।
अपने यहाँ कहावत है कि 'बुभुक्षितः: किन्नु करोपि पापं । अर्थात् भूखा मनुष्य क्या पाप नहीं करता? मुट्ठी भर लोगों के हाथ में पूँजी व अन्य सामग्री संगृहीत होकर जनता को त्रस्त करती है, जिसका परिणाम बड़ा भयंकर होता है। भूखा व्यक्ति सत्य-असत्य और हिंसा-अहिसा के भेद को भूल जाता है। एक कवि ने लिखा है कि
भूखे फकीर ने तड़पकर कहासत्य की परिभाषा बहत छोटी है केवल एक शब्द रोटी है।