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________________ 136 अनेकान्त 58/3-4 का विवरण है। चतुर्थ प्रकरण में अनगार धर्म का सम्पूर्ण वर्णन किया गया है। यह संस्कृत गद्य शैली का अत्युत्तम ग्रन्थ है। रीडर-संस्कृत विभाग, दि. जैन कॉलेज, बड़ौत सन्दर्भ1. 'जगत्पवित्रब्रह्मक्षत्रियवंशभागे' चा.पु.पृ. 5 2. “सो अजियसेणणाहो जस्स गुरू” गोम्मटसार कर्मकाण्ड गाथा 966 3. बाहुबलिचरित्र श्लोक 6 4. अज्जजसेण गुणगणसमूह संधारि अजियसेणगुरु। भुवणगुरु जस्स गुरू सो राओ गोम्मटो जयऊ।। 733 जीवकाण्ड गोम्मट सुत्त लिहणे गोम्मटरायेण या कया देसी। सो राओ चिरकालं णामेण य वीरमचडी।। गो.सा. 5. देखो (EC II) नं 238 पक्ति 16 अग्रेजी सक्षेप का पृ. 98 उद्धृत जीवकाण्ड की भूमिका पृ. 14 (पं. कैलाश चन्द शास्त्री) 6. बाहुबली की प्रतिमा गोमेटश्वर क्यों कही जाती है? अनेकान्त-बाहुबली विशेषांक __(1980) वर्ष 33 कि. 4 पृ. 39 (आलेख डा. प्रेमचन्द जैन) 7. इसका नाम त्रिषष्टिलक्षण महापुराण (कन्नड़) है। 8. 'बाहुबली' लेखक-जस्टिम मांगीलाल जैन (प्रकाशक दि. जैन मुनि विद्यानन्द शोधपीठ, बड़ौत) 9. नमिऊण णेमिचंदं असहायपरमक्कम महावीरं । णमिऊण वड्ढमाणं कणयणिहं देवरायपरिपुज्ज।। 358 ।। कर्मकाण्ड असहाय जिणवरिंदे असहाय परक्कमे महावीरे। णमिऊण णेपिणाहे। सज्जगुहिट्टिणमंसियंधिजुंग।। 451 ।। कर्मकाण्ड असहायपराक्रम, देवराज, सत्य युधिष्ठिर ये सब नाम चामुण्डराय के हैं। 10. जेणविणिम्मिय पडिमा वयणं सब्बट्ठसिद्धिदेवेहि। सव्वपरमोहि जोगहिं दिटुं सो राओ गोम्मटो जयउ।। 969 ।। कर्मकाण्ड 11. गोम्मटसार जीवकाण्ड भूमिका पृ. 14 (पं. कैलाशचन्द्र शास्त्री)।
SR No.538058
Book TitleAnekant 2005 Book 58 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2005
Total Pages286
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size9 MB
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