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________________ अनेकान्त 58/3-4 128 17. सागारधर्मामृत 7/58 और 8/27-28 18. भगवती आराधना 19. शान्तिसोपान 81 20. अथाऽसौ विहरन्स्वामी भद्रबाहुः शनैः शनैः । प्रापन्महाटवीं तत्र शुश्रव गगनध्वनिम् ।। श्रुत्वा ... आयुरलिपष्ठमात्मीयमज्ञासीद् बोधलोचनः ।। तृतीय परि. भद्रबाहुचरित्त 21. आवश्यकचूर्णिः भाग 2 पत्रांक 187 22. पुण्यासव कथाकोष (जीवराजग्रन्थमालासोलपुर) पृ. 365 23. तुम्महॅणिसही इत्थुजिहो सई गयणसटुएरिसु तहुघोसइ ।। (भद्रबाहु चाणक्य चन्द्रगुप्त कथा) 24. भद्दबाहु चेयणि झाएप्पिणु धम्मज्झाणं णाण चएप्पिणु।। भद्रबाहु चा. चन्द्र. कथा रइधू (286) 25. भद्रबाहु चरित प्रस्तावना पृ. 11 (सम्प. डॉ. राजा राम जैन) 26. संसारासक्तचित्ताना मृत्युभीतैः भवेन्नृणाम्। मोदायते पुनः सोऽपि ज्ञानवैराग्यवासिनाम् ।। मृत्यु महोत्सव । 27. अरिहतसिद्धसायर पउमसरं खीरपुप्फ फालभरिदं । उज्जाप भवण पासादं णाग जक्खधर।। 560 मूलाराधना।
SR No.538058
Book TitleAnekant 2005 Book 58 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2005
Total Pages286
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size9 MB
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