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________________ अनेकान्त 58/3-4 और नन्दा नाम दिए हैं। ‘पद्म पुराण' पर्व 20 श्लोक 124 में भरत की माता का नाम यशोवती भी लिखा है। यशस्वती से भरतादि एक सौ पुत्र और पुत्री ब्राह्मी एवं सुनंदा से एक पुत्र बाहुबली और सुन्दरी नाम की कन्या ने जन्म लिया था। एक दिन नृत्यागंना नीलाजंना की नृत्य करते हुए आकस्मिक मृत्यु हो जाने पर जीवन की क्षणभंगुरता देख महाराज ऋषभदेव को वैराग्य हो गया। उन्होंने युवराज भरत को उत्तराखण्ड (अयोध्या-उत्तर भारत) का और राजकुमार वाहुबली को (पोदनपुर-दक्षिण पथ) का शासन सौंप मुनि दीक्षा धारण कर ली। इस बारे में विद्वानों में मतैक्य नहीं है। कुछ विद्वानों के अनुसार पोदनपुर तक्षशिला (उत्तर भारत) के पास ही स्थित था, या तक्षशिला का ही दूसरा नाम था, जो वर्तमान में पाकिस्तान में है। 'महापुराण', 'पद्मपुराण', 'हरिवंशपुराण' में 'पोदनपुर' लिखा है किन्तु 'पउमचरिय' में 'तक्षशिला' लिखा है। आचार्य हेमचन्द्र का भी यही मत है। किंतु आचार्य गुणभद्र के अनुसार पोदनपुर दक्षिण भारत का हिस्सा था। बौद्ध साहित्य से भी इसी विचार की पुष्टि होती है कि पोदनपुर (पोदन, पोसन, पोतली) गोदावारी के किनारे स्थित था।20 पाणिनी का भी यही मत प्रतीत होता है। डॉ. हेमचन्द्रराय चौधरी बोधना को महाभारत के पोदना और बौद्ध साहित्य के पोतना से सम्बंधित समझते है। यदि हम ये मान लें कि पोदनपुर दक्षिण भारत में स्थित था तो आन्ध्र प्रदेश के निज़ामाबाद जिले में स्थित 'बोधना' नगर को पोदनपुर स्वीकार करना अधिक तर्क संगत होगा। कवि पम्पा के 'भरतकाव्य', वेमलवाद (Vemulvad) स्तम्भ पर खुदा लेख तथा परवनी ताम्र लेख भी इसी विचार की पुष्टि करते हैं। यह नगर राष्ट्रकूट राजा इन्द्रवल्लभ की राजधानी भी था। यह विचार भी अधिक तक संगत प्रतीत होता है कि एक भाई को उत्तर भारत का तथा दूसरे भाई को दक्षिण भारत का राज्य दिया गया। बाहुवली अत्यन्त पराक्रमी और बाहुबल से युक्त थे। जिनसेनाचार्य 'महापुराण' के पर्व 16 में बाहुबली के नाम की सार्थकता सिद्ध करते हुए कहते हैं :
SR No.538058
Book TitleAnekant 2005 Book 58 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2005
Total Pages286
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size9 MB
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