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अनेकान्त 58/3-4
- 6
3.05 7.47 6.01
3.96
5.18
जांघ की ऊपरी आधी गोलाई 10 नितम्ब से कान तक
____ 24 रीढ़ की अस्थि अधोभाग से कर्ण तक नाभि के नीचे उदर की चौड़ाई कटि और टेहुनी से कान तक बाहुमूल से कान तक
7 तर्जनी उँगली की लम्बाई
3 मध्यमा उँगली की लम्बाई
5 अनामिका की लम्बाई
4 कनिष्ठका की लम्बाई
2 गरदन के नीचे भाग से कान तक
-
2.14
6
3
1.067 1.06 1.04 0.81
7 8
0.76
मूर्ति की कुल ऊँचाई
17.385
गोम्मटेश्वर द्वार की बाई ओर जो शिलालेख है, वह सन् 1090 का है, उसमे कन्नड़ कवि पं. वोप्पण ने मूर्ति की महिमा का प्रतिपादक एक काव्य लिखा है, जिसका हिन्दी भाषा में सरल अनुवाद निम्नलिखित है
जब मूर्ति आकार में बहुत ऊंची और बड़ी होती है तब उसमें प्रायः सौन्दर्य का अभाव रहता है। यदि मूर्ति बड़ी हुई और सौन्दर्य भी हुआ तो उसमें दैवी चमत्कार होना असम्भव लगता है परन्तु गोम्मटेश्वर (कामदेव और चामुण्डराय के देवता) बाहुबली की मूर्ति ऊँची-बड़ी सुन्दर साश्चर्य-चमत्कारिणी है। दूसरे शब्दों में 57 फुट ऊंची होने से बड़ी है, सौन्दर्य में अद्वितीय है और दैवी चमत्कार-सम्पन्न है, अतएव यह प्रतिबिम्ब-सम्पूर्ण विश्व के व्यक्तियों द्वारा दर्शनीय और पूजनीय है। इस तथ्य को समझ कर ही शायद कर्नाटक सरकार ने श्रवणबेलगोला को पर्यटन-स्थल बनाया।