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अनेकान्त-57/3-4
अधिकारी का उल्लेख प्राप्त होता है, जिसे 'दानपति' कहा जाता था। मन्दिर आदि धार्मिक स्थलों की देखभाल के लिए 'अग्रहारिक' नामक अधिकारी की नियुक्ति किये जाने का उल्लेख प्राप्त होता है। अग्रहारिक राज्य में इस बात का ध्यान रखता था कि राज्य द्वारा दिये गये दान का उचित व्यक्तियों अथवा व्यक्ति द्वारा उचित प्रयोग किया जा रहा है अथवा नहीं। दान प्राप्त करनेवाला व्यक्ति कहीं अपने अधिकारों से किसी कारणवश वंचित तो नहीं कर दिया गया है, यह देखना भी ‘अग्रहारिक' का कार्य था।”
राज्य की सर्वागीण उन्नति तथा विकास-योजनाओं को क्रियान्वित करना राष्ट्र-विकास-विभाग का दायित्व था। राज्य की भौतिक श्रीवृद्धि तथा कृषि का विकास भी इसी विभाग के अन्तर्गत आता था। इस विभाग के मंत्री को 'राष्ट्रवर्धन' कहा गया है। 48
सन्दर्भ-संकेत
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