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________________ अनेकान्त-57/3-4 देश-विदेश एवं पड़ोसी राज्यों की जानकारी रखने की दृष्टि से परराष्ट्र-विभाग अत्यधिक महत्त्वपूर्ण स्थान रखता था। इस विभाग के अधीन युद्ध, शान्ति और वैदेशिक संबंध आदि मामले आते थे। साधारणतः इस विभाग को शान्तिकाल में विभिन्न अधीनस्थ सामंत शासकों तथा स्वतंत्र राज्यों से संबंध बनाये रखना पड़ता था और उनकी समस्त गतिविधियों की जानकारी एकत्र करनी पड़ती थी। देश-विदेश की जानकारी प्राप्त करने के लिए परराष्ट्र-विभाग के पास उच्च कोटि के गुप्तचरों की टुकड़ियाँ भी होती थी जो छद्म वेष में विभिन्न राज्यों में प्रवेश करके उनके भेदों की जानकारी प्राप्त करके विभागाध्यक्ष के पास गुप्त-रूप से सूचनाएँ भेजा करते थे। परराष्ट्र-विभाग महासन्धिविग्राहिक नामक अधिकारी के अधीन होता था। महाकाव्यों, दृश्यकाव्यों तथा स्मृतियों में इस अधिकारी को 'दूत' कहा गया है। राजतरंगिणी में इसे 'कम्पन' और अभिलेखों में महाप्रचण्डनायक कहा गया है। विदेशी नागरिकों के प्रवेश संबंधी नियम एवं अनुमति पत्र आदि देना भी परराष्ट्र-विभाग के ही कार्यक्षेत्र के अन्तर्गत निहित थे। यह कार्य 'महामुद्राध्यक्ष' नामक पदाधिकारी द्वारा किया जाता था, जिसका एक पृथक् उपविभाग होता था, जो विदेशियों को राज्य में प्रवेश की अनुमति देने के साथ-साथ उनकी गतिविधियों पर कड़ी नजर रखता था। विभिन्न सामन्तों के कार्यकलापों की देखरेख तथा उनसे निश्चित अवधि में उपहार, भेंट आदि प्राप्त करने की व्यवस्था भी इसी विभाग के अधीन होती थी। राजकीय भूमि का प्रबन्ध, वनों की देखभाल, पशुओं का प्रवन्ध, राज्य की समस्त भूमि का लेखा-जोखा एवं भूमिकर वसूलना आदि महत्त्वपूर्ण कार्य राजस्व विभाग के अधीन थे। इस विभाग का कार्यक्षेत्र अन्य विभागों की अपेक्षा अधिक व्यापक था। बहुआयामी होने के कारण इस विभाग में नियुक्त अधिकारियों की संख्या अन्य विभागों के मुकाबले कहीं अधिक होती थी। • राजकीय भूमि के प्रबन्धन का कार्य सीताध्यक्ष, वनों की देखभाल का कार्य अरण्याध्यक्ष, भूमिकर के रूप में एकत्र किये गये धान्यों का संग्रह करने के कार्य कोष्ठागाराध्यक्ष, धान्याध्यक्ष अथवा भाण्डागारिक के अधीन होता था।" प्राचीन भारतीय साहित्य में राज्य के संदर्भ में 'अर्थ' की महत्ता पर
SR No.538057
Book TitleAnekant 2004 Book 57 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2004
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size9 MB
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