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________________ 76 अनेकान्त-56/12 उसके प्रमाणपने का भी निर्णय कर लिया जाता है, परन्तु अनभ्यासदशा मे तो दूसरे कारणों से ही प्रमाणपना जाना जाता है। अभिप्राय यह है कि अभ्यासदशा में प्रमाण स्वत: और अनभ्यासदशा में प्रमाण परत: होता है। अप्रमाण के विषय में भी यही स्थिति है। प्रमाण-प्रमेय आदि में कथञ्चित् भेदाभेदपना आचार्य पूज्यपाद ने पूर्वपक्ष के रूप में प्रश्न उपस्थित किया है कि यदि ज्ञान को प्रमाण मानते हैं तो फल किसे मानेंगे? फल का तो अभाव ही हो जायेगा। इसके उत्तर में वे कहते हैं कि यह कोई दोष नही है। क्योंकि पदार्थ के ज्ञान हो जाने पर प्रीति देखी जाती है। यही प्रमाण का फल कहा- जाता है। अथवा अपेक्षा या अज्ञान का नाश प्रमाण का फल है। जो लो. सन्निकर्ष को प्रमाण मानते है वे पदार्थ के ज्ञान को फल मान लेते है, किन्तु पूज्यपाद का कहना है, कि यदि सन्निकर्ष को प्रमाण माना जायेगा तो सूक्ष्म व्यवहित और विप्रकृष्ट पदार्थो का ग्रहण नही हो सकेगा और इस प्रकार सर्वज्ञता का भी अभाव सिद्ध होगा। इन्द्रियो को प्रमाण मानने पर भी यही दोष उपस्थित होता है। चक्षु एव मैन के अप्राप्यकारी होने से इन्द्रिय और सन्निकर्ष भी नही बन सकता है। सन्निकर्ष को प्रमाण और पदार्थ के ज्ञान को फल मानते है तो सन्निकर्ष दो में रहने वाला सिद्ध होगा और इस प्रकार तो घट पटादि पदार्थो के भी ज्ञान की प्राप्ति का प्रसंग उपस्थित हो जायेगा। 4 अतएव सन्निकर्ष को प्रमाण नही माना जा सकता है। जैनदर्शन के अनुसार प्रमाण और प्रमेय सर्वथा भिन्न नही हैं। जिस प्रकार घटादि पदार्थो को प्रकाशित करने में दीपक हेतु है और अपने को प्रकाशित करने में भी वही हेतु है। इसके लिए प्रकाशान्तर की आवश्यकता नही होती है। उसी प्रकार प्रमाण भी है। अतः प्रमेय के समान प्रमाण के लिए यदि अन्य प्रमाण माना जाता है तो स्व का ज्ञान नही होने से स्मृति का अभाव हो जायेगा। स्मृति का अभाव हो जाने से व्यवहार के लोप का प्रसग उपस्थित हो जावेगा। अतः स्पष्ट है कि प्रमाण और प्रमेय सर्वथा भिन्न नही है। परन्तु दोनों में कथञ्चित् भिन्नपना भी है। जिस प्रकार बाह्य प्रमेयों से प्रमाण (घट से दीपक की तरह) भिन्न होता है उसी प्रकार
SR No.538056
Book TitleAnekant 2003 Book 56 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2003
Total Pages264
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
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