________________
| वीर सेवा मंदिर
अनेकान्त
का त्रैमासिक प्रवर्तक : आ. जुगलकिशोर मुख्तार 'युगवीर'
-
इस अंक में
वर्ष-56. किरण-3-4 कहाँ/क्या?
जुलाई-दिसम्बर 2003 । श्री सम्मेद-शिखर चालीसा
सम्पादक 2 "आदिपुराण में राजनीतिक विचारो
डॉ. जयकुमार जैन की अभिव्यञ्जना"
श्रीमती मज जन ।। 261/3, पटेल नगर 3 भारतीय जैन कला में प्रतिमा
मुजफ्फरनगर (उप्र) एव मूर्तिकला टी श्रीमती मीनाकुमार |
फान : (0131) 2603730 + क्या बद्ध कर्मों में परिवर्तन सभव है? डा आराधना जन 22 ___परामर्शदाता 5 जैन कर्म सिद्धान्त में अनेकान्त - Jशाक कुमार जैन 27 प. पद्मचन्द्र शास्त्री 6 नैष्ठिक श्रावक एक अनुचिन्तन डॉ जयकमार जेन 42 सस्था की
आजीवन सदस्यता 7 प्राचीन भारत मे गुप्तचर-व्यवस्था टा मुफश वमन 0
1100/* जैनदर्शन में प्रमाण का स्वरूप और उसके भेद डॉ कपुरचन्द जन
वार्षिक शुल्क
30/ ५ ध्यान-ध्याता-ध्येय
श्रीमती गका जन :
इस अक का मूल्य 10 जैन अनुशासन के मूल तत्त्व - गखा जन 7
10. ।। समयसार मे 'स्फटिकमणि' का दृष्टान्त
सदम्या व मदिरा क टा अनकान्त मार जन
लिए नि:शुल्क 12 जैन इतिहास लेखन की आवश्यकता -डा विजयकमार जन 101
प्रकाशक 13 पदार्थो का त्रिलक्षणात्मक एव त्रिपादत्मक
भारतभूषण जैन, एडवाकट स्वरूप और स्व-समय प्रवृत्ति डॉ गजन्द्रकमार तन 10
मुद्रक 14 कर्म सिद्धान्त की वैज्ञानिकता
मास्टर प्रिन्टर्स-110032 प्राचाय (प) निहालचन्द जन 11 विशेष सूचना : विद्वान् लेखक अपने विचारों के लिए स्वतन्त्र है।
यह आवश्यक नही कि सम्पादक उनके विचारों से सहमत हो।
वीर सेवा मंदिर
(जैन दर्शन शोध संस्थान) 21, दरियागज, नई दिल्ली -110002, दूरभाष : 23250522 सस्था को दी गई सहायता राशि पर धारा 80-जी के अतर्गत आयकर मे छूट
(रजि. आर 10591/62)