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________________ अनेकान्त - 56/1-2 121 बकरीद पर किये जाने वाले गोवध के सम्बन्ध में उच्चतम न्यायालय का फैसला द्रष्टव्य है। पश्चिमी बंगाल सरकार की विशेष अपील याचिका रद्द करते हुए उच्चतम न्यायालय ने फैसला दिया है कि भारत में मुस्लिम समुदाय का बकरीद पर गोवध करना धार्मिक अधिकार नहीं है। इस निर्णय से 1979 मे दायर इस मामले पर स्वामी केदारनाथ ब्रह्मचारी तथा 27 अन्य व्यक्तियो को 23 साल बाद न्याय मिल पाया है। ' - सक्षेप में निष्कर्ष के रूप मे मै कहना चाहूंगी कि 'जैसा खाओ अन्न वैसा हो मन' उक्ति के अनुसार निश्चित रूप से आहार मानव-जीवन को विशेष रूप से प्रभावित करता है। आहार से मानव को जीवनी शक्ति तो मिलती ही है, साथ ही यह उसे प्रसन्न - दुःखी, स्वस्थ रोगी, कृपण-उदार, क्रोधी-हंसमुख, निष्ठुर - दयावान तथा हिंसक - अहिंसक भी बनाता है। इस प्रकार भोजन का प्रभाव स्थूल शरीर से कहीं अधिक मन-मस्तिष्क पर होता है। अहिसा की भावना से प्रेरित शाकाहार का व्रत शारीरिक और मानसिक दोनो ही प्रकार के स्वास्थ्य का मूल आधार है। साथ ही अहिंसा-साधना के फलस्वरूप समाज मे जिस प्रेम की प्रतिष्ठा होती है, वह प्राणिमात्र को एक ऐसे कुटुम्ब के रूप में परिवर्तित कर देती है, जिसकी सभी इकाइयां परस्पर एक दूसरे की सहयोग बनकर 'यत्र विश्वं भवत्येकनीडम्' के महावाक्य को साकार करती हैं। संदर्भ 1 मैत्रीकरुणामुदितोपेक्षाणा सुखदुःखपुण्यापुण्यविषयाणा भावनातः चित्तप्रसादनम् । - योगसूत्र 1 / 33 1. मनुस्मृति, 5/48, 2 मनुस्मृति, 5/50, 3. मनुस्मृति, 5/52-53, 4 मनुस्मृति, 5/54 5. मनुस्मृति, 5/55 6 मनुस्मृति 12/63, 7. मनुस्मृति 12/59, 8 मनुस्मृति 5/45 9 मनुस्मृति 5/46 90, द्वारिकापुरी मुजफ्फरनगर
SR No.538056
Book TitleAnekant 2003 Book 56 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2003
Total Pages264
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
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