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________________ अनेकान्त-56/1-2 119 में है। उसका दयालु हृदय सिंह की पीड़ा से कराह उठा और वह कुछ करने के लिए बेचैन हो उठा। उसने सोचा कि मैं भागा हुआ गुलाम हूँ। अधिक सम्भावना है कि आज नहीं तो कल मैं अवश्य पकड़ा जाऊगा, उस स्थिति मे मुझे प्राणदण्ड मिलना निश्चित है। सिंह की पीड़ा दूर करने के लिए उसके पास जाने में भी प्राणभय है किन्तु इस प्राणभय के समय पीड़ा हरने की कामना है, जो निश्चित ही पुण्यकर्म है। इस पुण्यकर्म के लिए मृत्यु आ जाए, तो कोई हानि नहीं है। यह सोचता हुआ एण्ड्रोक्लीज शेर की और बढ़ा, शेर मे कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई। एण्ड्रोक्लीज ने शेर के पंजे को पकड़ा, ध्यान से देखा, उसमें एक बड़ा सा काटा आर-पार चुभा हुआ था। एक हाथ से उसे खींच पाना कठिन था । अतः उसने दोनों हाथों से शेर के पंजे को पकड़ा और कुछ बल लगाया, तो कांटा बाहर आ गया। शेर की पीड़ा तत्काल कुछ कम हुई। उसके पास लंगोटी के अतिरिक्त कोई वस्त्र नहीं था। उसने लंगोटी खोली और शेर के पंजे को उससे बांध दिया, जिससे रक्तप्रवाह कम हो जाए । यह सब करके वह जंगल में आगे बढ़ गया। जंगल में भटकते हुए कुछ दिनों बाद वह सिपाहियों द्वारा पकड़ा गया। इसी बीच एक दिन राजा शिकार खेलने गया। सिंह आदि को पकड़ने के लिए पिंजरा जंगल मे लगाया गया और संयोगवंश वह शेर पिंजरे में फस गया। राजदण्ड के लिए जब एण्ड्रोक्लीज को राजा के सामने पेश किया गया, तो राजा ने उसे मृत्युदण्ड की सजा सुनायी तथा गुलामो मे भागने की भावना को दबाने की दृष्टि से बाजार के बीच एण्ड्रोक्लीज को शिकार में पकड़े गये शेर से नुचवा डालने का आदेश दिया। इसके लिए शेर को चार दिन भूखा रखा गया। इस भयानक प्रदर्शन के लिए एक बड़ा पिंजरा बनवाया गया, जिसमे एण्ड्रोक्लीज को रखा गया और उस पिंजरे के अन्दर शेर का पिंजरा भी लाया गया। एण्ड्रोक्लीज को ही शेर के पिंजरे का द्वार खोलने का आदेश दिया गया। सभी ओर से मृत्यु को सामने देखते हुए उसने शेर के पिजरे का द्वारा खोला। परन्तु यह क्या, शेर आक्रमण करने के स्थान पर उसके पास आकर उसके पैर चाटने लगा। क्योंकि शेर ने दयालु एण्ड्रोक्लीज को पहचान लिया था। यह था
SR No.538056
Book TitleAnekant 2003 Book 56 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2003
Total Pages264
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
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