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________________ अनेकान्त-56/1-2 107 ब्रिटेन में 21 अध्ययनों से एक तथ्य और सामने आया है कि जो लोग प्रार्थना में विश्वास रखते हैं और प्रतिदिन प्रार्थना करते हैं, वे ज्यादा प्रसन्न जीवन व्यतीत करते है। उन्हें मानसिक तनाव कम रहता है और शांति का अनुभव करते है। ब्रिटेन के डॉ. गिल व्हाइट का कहना है कि 44 'अध्यात्म के जरिये चिकित्सा देते समय मै उस समय तक प्रतीक्षा करती हूँ, जब तक मेरे शरीर मे एक करण्ट सा महसूस नही होने लगता। फिर मेरे हाथ मरीज के सिर व शरीर के ऊपर घूमते है और रोगी को मेरे मन व शरीर से ट्यूनिंग हो जाती है, जिससे हमारे व मरीज़ के बीच ऊर्जा का सचरण होता है । रॉयल सोसाइटी आफ मेडिसीन के जनरल में प्रकाशित एक शोधालेख में डॉ. डिक्सन के अनुसार - पहले वह स्वयं अध्यात्म के जरिये ऊर्जा संचित करता है, जो उसे ब्रह्माण्डीय ऊर्जा से प्राप्त होती है. फिर मरीज के शरीर व मन को प्रदान करता है। अध्यात्म के क्षेत्र में 'विश्वास' एक शक्तिशाली चीज है। यदि डॉक्टर मरीज को यह विश्वास दिला पाने में सफल है कि अपने आराध्य के प्रति पूर्ण विश्वास रखे, तो जल्दी स्वस्थ हो जाओगे तो उस डॉक्टर की दवा ज्यादा असरकर साबित होगी। अमेरिका के 125 मे से 50 मेडिकल कॉलेजों में इस समय अध्यात्म विषय को पाठयक्रम के रूप मे स्वीकार कर पढ़ाया जा रहा है। डॉक्टर ब्रानले एंडरसन का कहना है कि जब तब डॉक्टर स्वयं को अध्यात्म की ऊर्जा से चार्ज नहीं करेगा, तब तक वह मरीज को इस ऊर्जा से चार्ज कैसे कर सकेगा। आज पश्चिमी जगत में मेडिकल इलाज के साथ आध्यात्मिक इलाज को समग्र इलाज की संज्ञा दी गई है। और वह मरीज का हित करने में रात-1 - दिन जुटा हुआ है। भारत की इस विरासत को, जिसका अलिखित पेटेंट अभी तक भारत के नाम ही है, भारत में क्यो उपेक्षा की दृष्टि से देखा जा रहा है? आवश्यकता
SR No.538056
Book TitleAnekant 2003 Book 56 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2003
Total Pages264
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
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