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________________ अनेकान्त/55/1 37 सील-एम. आई. सी. पी. एल. -12 वीं, नं.-17 में जो मनुष्य का आकार है उसको उन्होंने पशुओं से घिरे रहने के कारण पशुपतिनाथ माना है। मार्शल तथा अन्य पाश्चात्य विद्वानों का मत है कि यहां द्रविड़ सभ्यता थी ओर आर्य जाति विदेशों से लगभग 3500 वर्ष पूर्व भारत में आई। पशुपति वाली मुद्रा को विभिन्न विद्वानों ने अनेक प्रकार से पढ़ा है। सुधांशु कुमार रे ने सिंधु लिपि में 288 वर्णात्मक चिन्ह माने हैं और विभिन्न मुद्राओं के चिन्हों से लिपि बनाने का प्रयत्न अनेक विद्वानों ने किया है। अभी तक इस वर्णमाला का संबंध "ब्राम्ह्मीलिपि" से जोड़ने का प्रयास किया जाता रहा है किन्तु अभी तक कोई भी सर्वसम्मत हल पर नहीं पहुंच सका। वस्तुतः ब्राम्ही और सुंदरी लिपियों के आविष्कार पर प्रो. एल. सी. जैन, जबलपुर के पांच लेखों (अर्हत वचन ' में प्रकाशित) में जो परिपुष्ट साक्ष्य एवं प्रमाण उपलब्ध हैं, वे दो हैं : पुरातात्त्विक दृष्टि से अशोक के अभिलेख भारत की ऐतिहासिक युग के प्राचीनतम अभिलेख हैं। विशेष बात यह ध्यान देने की है कि सैंधव सभ्यता के पतन (18 वीं शती ई. पू.) और अशोक (3 री शती ई. पू.) के मध्य व्यतीत होने वाले लगभग 1500 वर्षों का एक भी अभिलेख उपलब्ध नहीं है। स्वतंत्र भारत में वैदिक काल में अनेक स्थलों का काफी विशाल पैमाने पर उत्खनन भी किया जा चुका है। इससे यह निष्कर्ष निकाला गया है कि इस बीच भारत के लोग लेखन कला से अपरिचित थे। दूसरा, इस तर्क के समर्थन में यूनानी राजदूत मेगस्थनीज, जो 300 ई. पू. चंद्रगुप्त मौर्य की सभा में था, को “भूगोल" नामक गंथ में स्ट्रेबो ने इस प्रकार उद्धृत किया है, "मेगस्थनीज कहता है, कि जब वह सेंड्रोकोटोस (चंद्रगुप्त मौर्य) के दरबार में था, यद्यपि शिविर की जनसंख्या 40 हजार थी, उसने किसी दिन भी 200 देख्न से अधिक मूल्य की वस्तुओं की चोरी की रिपोर्ट नहीं सुनी, और वह भी ऐसे लोगों के बीच में, जो 'अलिखित कानूनों' का ही प्रयोग करते हैं क्योंकि" वह आगे कहता है, "उनको लेखन कला ज्ञान नहीं है। और वह सभी बातों को स्मृति की सहायता से नियमित करते हैं" मेगस्थनीज का यह कथन अशोक के पूर्व 15 सदियों तक अभिलेखों को पूर्व
SR No.538055
Book TitleAnekant 2002 Book 55 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2002
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
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