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________________ अनेकान्त/55/3 दण्डनायक गंगराज झालरापाटान का एक प्राचीन वैभव - श्री पं. के. भुजबली शास्त्री 15/225 -डा. कैलाशचंद जैन एम.ए, पी.एच.डी. 15/279 दस्सा बीसा भेद का प्राचीनत्व झारड़ा की अप्रकाशित जैन प्रतिमायें 31/1 -अगरचंद नाहटा 4/336 दिल्ली और उसके पांच नाम -पं. परमानन्द शास्त्री 13/19 टूडे ग्राम का अज्ञात जैन पुरातत्व दिल्ली और दिल्ली की राजावली -प्रो. भागचन्द 'भागेन्दु' 21/69 -पं. परमानन्द शास्त्री 8/71 दिल्ली और योगिनीपुर नामों की प्राचीनता तलघर में प्राप्त 160 प्रतिमाएँ -अगरचंद नाहटा 13/72 -श्री अगरचन्द नाहटा 1981 दिल्ली पट्ट के मूलसंघी भट्टारकों का प्रभाव तिरूपटि कुनरम् (जिनकाञ्ची) -डा. ज्योतिप्रसाद जैन 17/54, 17/159 -श्री टी.एन. रामचन्द्रन 15/101 दिल्ली शासकों के समय का नया प्रकाश तीन विलक्षण जिनबिम्ब -हीरालाल सि.शा. 19/256 - श्री नीरज जैन 15-121 दीवान अमरचन्द -परमानन्द जैन 13/198 तीर्थंकर सुपार्श्वनाथ को प्रस्तर प्रतिमा दीवान रामचन्द छावड़ा -व्रजेन्द्रनाथ शर्मा एम.ए. 18/157 -परमानन्द शास्त्री 13/256 तौलबदेशीय प्राचीन जैन मन्दिर देवगढ़ -श्री नाथूराम सिंघई 1/98 -पं. लोकनाथ शास्त्री 1/104, 122 देवगढ़ का ऐतिहासिक अनुशासन तिजारा का ऐतिहासिक परिचय -प्रो. भागचन्द जैन एम.ए. 20/62 -श्री परमानन्द शास्त्री 23/2 देवगढ़ की जैन प्रतिमाएँ - प्रो.कृष्णदत्त तीर्थंकरों के शासनदेव और देवियां बाजपेयी,सागर वि.विद्यालय 15/27 -पं. बलभद्र शास्त्री 28/1 देवताओं का गढ़, देवगढ़ तेइसवें तीर्थंकर पार्श्वनाथ की प्रतिमाएं - श्री नीरज जी सतना 17/167 - श्री नरेश कुमार पाठक 38/1 देहली के जैन मन्दिर और जैन संस्थाएं तीर्थंकर पार्श्वनाथ की केवल भूमि अहिच्छत्रा -बा. पन्नालाल जैन अग्रवाल 8/217 -डा. ज्योतिपसाद जैन 39/4 देहली धर्मपुरे का दि. जैन मन्दिर तीर्थकर शीतलनाथ -श्री गुलाबचंद्र जैन 46/3 -बा. पन्नालाल जैन अग्रवाल 8/132 दो ताडपत्रीय प्रतियों की ऐतिहासिक प्रशस्तिया - श्री भंवरलाल नाहटा 18/85 दक्षिण के तीर्थस्थान द्रोणगिरि -डा. विद्याधर जोहरापर 17/123 -प. नाथूराम प्रेमी 2/341, 2/381 देवगढ की जैन कला का सांस्कतिक अध्ययन दक्षिण भारत के राजवंशों में जैनधर्म का प्रभाव -- श्री गोपीलाल अमर 23/2 -बा. ज्योतिप्रसाद जैन एम.ए. 8/356 दिल्ली पट के मूल संघीय भटारक प्रभाचंद्र दक्षिण भारत में राज्याश्रय और उसका अभ्युदय । ___ -श्री परमानंद शास्त्री 23/3 -डा.टी.एन. रामचन्दन एम.ए. 11/378
SR No.538055
Book TitleAnekant 2002 Book 55 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2002
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
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