SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 138
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ वीर सेवा मंदिर अनेकान्त का त्रैमासिक प्रवर्त्तक : आ. जुगलकिशोर मुख्तार 'युगवीर' इस अंक में कहाँ / क्या? । जिनवर स्तवनम् 2 भरतक्षेत्र के "सीमधर" दिगम्बराचार्य कुन्दकुन्द पद्मचन्द शास्त्री ३ कुन्दकुन्द के विषय में जनश्रुति विषयक अवधारणा 5 4 अहिसा सिद्धान्त और व्यवहार सम्पादक श्रावक और अणुव्रत डॉ अशोक कुमार जन डॉ जयकमार जैन 6 सप्त व्यसन का समाज पर दुप्रभाव डॉ ज्योति जन 7 पुण्य और पाप का सम्बन्ध नद्रलाल जैन 6 अनेकान्न शोध पत्रिका में प्रकाशित जैन इतिहास विषयक प्रमुख लेख डॉ सुरेश चन्द्र जन 2 6 7 19 M 41 45 वर्ष - 55, किरण- 3 जुलाई-सितम्बर 2002 सम्पादक : डॉ. जयकुमार जैन 261/3, पटल नगर मुजफ्फरनगर (उ.प्र ) फोन : (0131) 603730 परामर्शदाता : पं. पदमचन्द्र शास्त्री सस्था की आजीवन सदस्यता 1100/ वार्षिक शुल्क 307 इस अंक का मृल्य 10/ सदस्यों व मंदिरा क लिए निःशुल्क प्रकाशक भारतभूषण जैन, एडवाकट मुद्रक मास्टर प्रिन्टर्स 11003. विशेष सूचना विद्वान् लेखक अपन विचारा के लिए स्वतन्त्र है। यह आवश्यक नहीं कि सम्पादक उनके विचारों से सहमत हो। इसमें प्राय: विज्ञापन एव समाचार नहीं लिए जाते। वीर सेवा मंदिर 21. दरियागज, नई दिल्ली-110002, दूरभाष : 3250522 सस्था का दी गई महायता राशि पर धारा 800 जी के अंतर्गत आयकर में छूट (राज आर 10501 62)
SR No.538055
Book TitleAnekant 2002 Book 55 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2002
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy