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________________ | वीर सेवा मंदिर का त्रैमासिक अनेकान्त प्रवर्तक : आ. जुगलकिशोर मुख्तार 'युगवीर' इस अंक में - वर्ष 54, किरण । कहाँ/क्या? जनवरी-मार्च 2001 1. महावीर भगवान सम्पादक : ___ - श्री सुभाप जैन | डॉ. जयकुमार जैन 2 नासूर बनता सानगढ़ मिशन __परामर्शदाता : - डॉ जयकुमार जैन प. पदमचन्द्र शास्त्री भगवान महावीर की अहिमा के निहितार्थं 13 गम्था की डॉ सुरेन्द्रकुमार जैन भारती । आजीवन सदस्यता 4 कटार्ग सीधी या उलटी 1100 पूर्व न्यायमूर्ति एम एल जैन । वार्षिक शुल्क 5 आदि पुराण का भाषाई पक्ष 25 15 __ . डॉ वृपभ प्रसाद जन दम्म अक का मूल्य सर्वघाति और देशघानि कर्म प्रकृतियाँ 41 - डॉ श्रयामकुमार जैन सदस्यों व मदिगे क || लिा नि-गल्क 7 आचार्य अजितमन की दृष्टि में उपमा 4) __ - डॉ मगीना जैन पकागक 8 प्राचीन भारत पुस्तक में कुछ और 53 | | भारतभूषण जैन, " वक भ्रामक कथन मुद्रक . - राजमल जैन मास्टर प्रियं ।10032 विशेष सूचना : विद्वान् लेखक अपने विचारों के लिए स्वतन्त्र ह। यह आवश्यक नहीं कि सम्पादक उनके विचारो स महमत हो। ___ इसमें प्रायः विज्ञापन एव समाचार नहीं लिए जाते। वीर सेवा मंदिर 21. दरियागंज, नई दिल्ली 110002. दृरभाप : 3250522 ग्यस्था का दी गई महायता गाँश पर धाग S} जी क अतर्गत आयकर महट (रजि आर 1059162)
SR No.538054
Book TitleAnekant 2001 Book 54 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2001
Total Pages271
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
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