SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 229
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 88 अनेकान्त /54/3-4 पुर्तगाली जेसुईट पादरी पिन्हेरी : यह पादरी 1595 में आया, उसने लिखा है कि अकबर जैन धर्मनुयायी हो गया था । अहिंसा उसके जीवन का मनन-चिन्तन बन गया था। मद्य, मांस, जुआ के लिये निषेध कर दिया गया था फरमान जारी किये उसका जीवन शाकाहारी, जीव- दया, सामाजिक नैतिकता आदि गुणों से भरपूर था । आधुनिक इतिहासकार डॉ. स्मिथ : अकबर की जैन धर्म पर बड़ी श्रद्धा थी । उसने उपदेशों से प्रभावित होकर अपने शासनकाल में जहां जैन मन्दिर तोड़े गये थे पुनः मन्दिर स्थापित करवा दिये। मन्दिर तोड़कर जो मस्जिद बनी उनको तुड़वाकर जैन मन्दिर की स्थापना करवायी। सहारनपुर का प्रसिद्ध सिधवान का जैन मन्दिर के विषय में ऐसी ही कथा प्रचलित हैं। धार्मिक अनुष्ठान में अकबर का योगदान : बादशाह अपने जीवन में जैन धर्म की शिक्षाओं को उतारने का प्रयास निरन्तर करता रहता था। धार्मिक अनुष्ठान, वेदी प्रतिष्ठा विधान आदि क्रियाओ का राजा के जीवन पर भारी प्रभाव पड़ा था। धार्मिक क्रियाओं के बारे में एक घटना प्रचलित है कि अकबर के बेटे सलीम के घर कन्या का जन्म हुआ तो योतिषियों ने इसे बहुत ही अनिष्ट कारक बताया और ग्रह शान्ति हेतु उसने एक विशाल जैन धार्मिक अनुष्ठान- शान्तिनाथ विधान का भव्य आयोजन किया। प्रतिष्ठाचार्य के रूप में बीकानेर के कर्मचन्द वच्छावत को जैन ध नुसार विधि-विधान एवं धार्मिक क्रिया हेतु सम्मान सहित आमंत्रण दिया और शान्ति विधान चैत्र शुक्ला पूर्णिमा के दिन भगवान सुपार्श्वनाथ का अभिषेक स्वर्ण रजत कलशों से बड़े समारोह पूर्वक सम्पन्न किया। इस धार्मिक अनुष्ठान में सम्राट् अपने पुत्रों और दरबारियों सहित सम्मिलित हुआ तथा अभिषेक का गन्धोदक को विनयपूर्वक मस्तक पर लगाया तथा बेगमों के लिए उनके महल में गदोधक लगाने हेतु भिजवाया। उसने मन्दिर को 10 हजार स्वर्ण मुद्रायें भेंट की। अकबर के शासन में 1579 में हुई बिम्ब - प्रतिष्ठा सर्व प्रथम प्रतिष्ठा थी। सम्राट् ने आष्टान्हिका के दिनों में पशुवध बंद कर दिया। साल के 365 दिन में 175 दिन पशुवध बन्द करवा दिया था। जैन सिद्धान्तों के प्रति अनुराग तथा
SR No.538054
Book TitleAnekant 2001 Book 54 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2001
Total Pages271
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy