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________________ 76 प्रज्ञापराधं तं विधात्सर्वदोषप्रकोपणम् ॥ 3. युक्ताहारविहारस्य युक्तचेष्टस्य कर्मसु । चरकसंहिता शरीरस्थान 1.94, 96, 101 8. युक्तस्वप्नावबोधस्य योगो भवति दुःखहा ।। गीता 6/17 4. पद्मनन्दिपंचविंशतिकागत श्रावकाचार में देशव्रतोद्योतन - श्लोक 52 5. श्रावकाचार सारोद्धार (भाग 3) श्लोक 103, पृष्ठ 341 6. कुन्दकुन्द श्रावकाचार (भाग 4) 5/5, पृ. 43 7. (क) अमितगति श्रावकाचार - 5/42 (ख) श्रावकाचार सारोद्धार श्लोक 104 अथ दोषा च नक्तं च रजनाविति । अमरकोष, 3/6, पृष्ठ 444 9. अमितगति श्रावकाचार 5/41 अनेकान्त /54/3-4 10. कुन्दकुन्द श्रावकाचार 4/4, 4/7 11. श्रावकाचार सारोद्धार श्लोक 1101 12. अमितगति श्रावकाचार 5/451 13. (क) श्रावकाचार सारांद्धार, श्लोक 106-107 (ख) अमितगति श्रावकाचार 5/4 14. (क) श्रावकाचार सारोद्धार, श्लोक 105, 113 (ख) पूज्यपाद श्रावकाचार, श्लोक 94 (ग) पुरुषार्थानुशासन, श्लोक 47 15. पुरुषार्थानुशासनगत श्रावकाचार, श्लोक 45 16. (क) वसुनन्दिश्रावकाचार, 315-316 (ख) पुरुषार्थानुशासन, 46 (ग) पूज्यपाद श्रावकाचार, 17. प्रदोषो रजनीमुखम् - अमरकोष । श्लोक 86
SR No.538054
Book TitleAnekant 2001 Book 54 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2001
Total Pages271
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
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