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अनेकान्त/54/3-4
या पाणिनीय व्याकरण के कुछ सूत्रों में अथवा कुछ ग्रन्थों में यत्र-तत्र उपलब्ध संकेतों से किया गया है। इसी कारण विद्वान् लेखक ने इसे 'प्राचीनतम गणतन्त्र' घोषित किया है, जिसके लिखित साक्ष्य हमें प्राप्त हैं और जिसकी कार्य-प्रणाली की झाँकी हमें महात्मा बुद्ध के अनेक सम्वादों में मिलती है।
वैशाली गणतन्त्र का अस्तित्व कम से कम 2600 वर्ष पूर्व रहा है। 2500 वर्ष पूर्व भगवान् महावीर ने 72 वर्ष की आयु में निर्वाण प्राप्त किया था। यह स्पष्ट ही है कि महावीर वैशाली के अध्यक्ष चेटक के दौहित्र थे। महात्मा बुद्ध महावीर के समकालीन थे। बुद्ध के निर्वाण के शीघ्र पश्चात् बुद्ध के उपदेशो को लेख-बद्ध कर लिया गया था। वैशाली में ही बौद्ध भिक्षुओं की दूसरी संगीति का आयोजन (बुद्ध के उपदेशों के संग्रह के लिए) हुआ था।
वैशाली गणतन्त्र से पूर्व (छठी शताब्दी ई.पू.) क्या कोई गणराज्य था? वस्तुतः इस विषय में हम अंधकार में हैं। विद्वानों ने ग्रंथों में यत्र-तत्र प्राप्त शब्दों से इसका अनुमान लगाने का प्रयत्न किया है। वैशाली से पूर्व किसी अन्य गणतन्त्र का विस्तृत विवरण हमें उपलब्ध नहीं है। बौद्ध ग्रंथ 'अंगुत्तर मिकाय' से हमें ज्ञात होता है कि ईसा पूर्व छठी शताब्दी से पहले निम्नलिखित सोलह 'महाजन पद' थे-1. काशी 2. कोसल 3. अंग 4. मगध 5. वज्जि (वृजि) 6. मल्ल 7. चेतिय (चेदि) 8. वंस (वत्स) 9. कुरु 10 पंचाल 11. मच्छ (मत्स्य) 12. शूरसेन 13. अस्सक (अश्मक) 14. अवन्ति 15. गन्धार 16. कम्बोज।" इनमें से 'वज्जि' का उदय विदेह-साम्राज्य के पतन के बाद हुआ।
जैन ग्रंथ 'भगवती सूत्र' में इन जनपदों की सूची भिन्न रूप में है जो निम्नलिखित है-1. अंग 2. वंग 3. मगह (मगध) 4. मलय 5. मालव (क) 6. अच्छ 7. वच्छ (वत्स) 8. कोच्छ (कच्छ?) 9. पाढ (पाण्ड्य या पौड्र) 10. लाढ (लाट या राट) 11. वज्जि (वज्जि) 12. मौलि (मल्ल) 13. काशी 14. कोसल 15. अवाह 16. सम्मुत्तर (सुम्भोत्तर?)। अनेक विद्वान् इस सूची को उत्तरकालीन मानते हैं,