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________________ | वीर सेवा मंदिर का मा अनेकान्त प्रवर्तक : आ. जुगलकिशोर मुख्तार 'युगवीर' जैन इस अंक में - वर्ष-54, किरण-34 कहाँ/क्या? जुलाई- दिसम्बर 2001 1 आर्यिका ज्ञानमती की सस्कृत माहित्य को देन सम्पादक : - डॉ जयकुमार जैन ? 2 जयधवला टीका में प्रयुक्त कतिपय रूपक और दृष्टान्त - डॉ फूलचन्द जन प्रेमी ५ 201/3, पटेल नगर 3 वैशाली गणतन्त्र मुजफ्फरनगर (उ.प्र) - श्री गजमल जन | फोन : (0131) 603730 4 ववहारो भृदत्यो - जम्टिय एमान जेन परामर्शदाता : 34 5. मेरी भावना की सर्वव्यापकता पं. पद्मचन्द्र शास्त्री डॉ गजेन्दकमार बमल 50 6 भक्तामर ऐतिहासिकता एव परम्पराभेद सम्था की - डॉ ज्योति जना आजीवन सदस्यता 7 गत्रि भोजन पाप हे ||00/ - डॉ मुष्मा जन वार्षिक शुल्क 8 जैन सस्कति सम्पन्न भव्य प्राचीन केन्द्र फतेहपुर सीकरी - सरश चन्द गलिया 79 १) पण्डितप्रवर आशाधर के सागारधर्मामत की प्रमख विशेषताये इस अक का मूल्य डॉ रमश चन्द्र जन ॥ 10/ 10 जैन दर्शन में जीव द्रव्य सदस्यो व मदिरो क - डॉ श्रयास कुमार जन 103 लिए नि:शुल्क 11 अनेकान्त का मर्म - कलाश वाजपयी ।।। प्रकाशक | 12 शिक्षाव्रतो में अतिथि सविभाग व्रत का महत्त्व | भारतभूषण जैन, एडवाकट - डॉ मुरन्द्र कुमार जन 'भारती' ।।1 13 श्रमणपरम्परा मे प्रतिपादित षट्कर्म व्यवस्था मुद्रक : - टॉ मुश चन्द्र जन 13 मास्टर प्रिन्टर्म-110032 30, विशेष सूचना : विद्वान् लेखक अपन विचारों के लिए स्वतन्त्र है। यह आवश्यक नहीं कि सम्पादक उनके विचारों से सहमत हो। इसम प्रायः विज्ञापन एवं समाचार नही लिए जाते। वीर सेवा मंदिर 21, दरियागंज, नई दिल्ली -110002, दूरभाष : 3250522 सस्था को दी गई सहायता राशि पर धारा 80 जी के अतर्गत आयकर में छुट (रजि. आर 10591/62)
SR No.538054
Book TitleAnekant 2001 Book 54 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2001
Total Pages271
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
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