SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 85
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 40 अनेकान्त/53-2 इङ्कशन केस - 'पूजा केस' के निर्णय के पश्चात् जिसमें श्वेताम्बर समाज को यथेष्ट सफलता नहीं प्राप्त हुई, सम्मेदाचल तीर्थराज के श्वेताम्बराम्नायी प्रबन्धकों ने यह प्रयत्न किया कि श्री कुंथनाथ की टोंक के पास जहां से मधुवन के रास्ते से तीर्थराज की यात्रा प्रारम्भ होती है, एक बड़ा फाटक खड़ा कर दिया, जिसमें यात्रियों को यात्रा के लिए श्वेताम्बर समाज की दया दृष्टि पर निर्भर रहना पड़े, उस फाटक के पास तलवार बंदूक आदि हथियार बन्द सिपाही भी रखे गए। तीर्थराज पर बिजली गिरने से पूज्य चरणालय जिनको 'टोंक' कहा जाता है टूट जाती हैं और नूतन चरण स्थापना की आवश्यकता होती है। ऐसे नवीन चरण श्वेताम्बर समाज के प्रबन्ध से इस रूप में स्थापित किये गये थे जिस रूप में वह दिगम्बर आम्नायी उपासकों द्वारा पूज्य नहीं थे । - दिगम्बर आम्नाय के अनुसार 'चरण-चिन्ह' अर्थात् चरणों के तलवों की छाप पूज्य है, किन्तु चरण युगल की आकृति अर्थात् नाखूनदार अंगूठा अंगुलियों की और पंजे की आकृति अपूज्य है । अतः फाटक और सिपाहियों के निवास स्थान बनाने को रोकने और अपूज्य चरणों को हटाकर पूजा योग्य चरण-चिन्ह स्थापन किये जाने के वास्ते दिगम्बर समाज की ओर से हजारीबाग के सब जज की कचहरी में 4 अक्टूबर 1920 को नालिश दाखिल की गई । इस मुकदमे में (1) सर सेठ हुकुमचन्द, इन्दौर (2) श्री जम्बूप्रसाद, सहारनपुर (3) श्री देवी सहाय, फिरोजपुर (4) सेठ हीराचन्द, शोलापुर (5) सेठ सुखानन्द, बम्बई (6) सेठ दयाचन्द, कलकत्ता (7) सेठ मानिकचन्द, झालरापाटन (8) सेठ टेकचन्द, अजमेर (9) सेठ हरसुखदास, हज़ारीबाग कुल नौ मुद्दई थे। (1) बाबू महाराज बहादुर सिंह, (2) नगरसेठ कस्तूरभाई, अहमदाबाद, (3) बाबू रायकुमार सिंह, कलकत्ता (4) सेठ मोतीचन्द, कलकत्ता श्वेताम्बरी जैन मूर्तिपूजक समाज के प्रतिनिधि रूप में मुद्दालेह बनाये गये थे। I नालिश आर्डर 8 रूल 1 के अनुसार की गई थी। दिगम्बरं 1923 के प्रारम्भ में उस मुकदमे में गवाह पेश होने का अवसर आया। सेठ मानिकचन्द जी का स्वर्गवास हो चुका था। कमेटी की रोकड़ में खर्च के वास्ते पर्याप्त धन नहीं था। बैरिस्टर चम्पतराय जी हरदोई जिले में ख्याति प्राप्त फौजदारी के 新 编卐
SR No.538053
Book TitleAnekant 2000 Book 53 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2000
Total Pages231
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy