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वीर सेवा मन्दिर का त्रैमासिक
अनेकान्त
(पत्र-प्रवर्तक : आचार्य जुगल किशोर मुख्तार 'युगवीर') वर्ष-53 किरण-1
जनवरी-मार्च 2000
निर्ग्रन्थ मुनि
सीख 1. हे जिनवाणी भारती.......!
-पद्यचन्द्र शास्त्री 2. प्रतिक्रमण सभी नयों से अमृत कुम्भ है।
-श्री रूपचन्द्र कटारिया || 3. जैनों के सैद्धान्तिक अवधारणाओं में क्रम परिवर्तन-2
.-श्री नंदलाल जैन
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4. धवल मंगलगान रवाकुले -जस्टिस एम. एल. जैन 5. धर्म और अधर्म द्रव्य -डॉ. सन्तोष कुमार जैन 6. जैन धर्म की प्राचीनता, भगवान महावीर के सिद्धान्तों की आज के समय में उपयोगिता
___--जगदीश प्रसाद जैन
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