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________________ 6१०8 वीर सेवा मन्दिर का त्रैमासिक अनेकान्त (पत्र-प्रवर्तक : आचार्य जुगल किशोर मुख्तार 'युगवीर') वर्ष-53 किरण-1 जनवरी-मार्च 2000 निर्ग्रन्थ मुनि सीख 1. हे जिनवाणी भारती.......! -पद्यचन्द्र शास्त्री 2. प्रतिक्रमण सभी नयों से अमृत कुम्भ है। -श्री रूपचन्द्र कटारिया || 3. जैनों के सैद्धान्तिक अवधारणाओं में क्रम परिवर्तन-2 .-श्री नंदलाल जैन । 4. धवल मंगलगान रवाकुले -जस्टिस एम. एल. जैन 5. धर्म और अधर्म द्रव्य -डॉ. सन्तोष कुमार जैन 6. जैन धर्म की प्राचीनता, भगवान महावीर के सिद्धान्तों की आज के समय में उपयोगिता ___--जगदीश प्रसाद जैन - वीर सेवा मंदिर, 21 दरियागंज, नई दिल्ली-110002 दूरभाष : 3250522
SR No.538053
Book TitleAnekant 2000 Book 53 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2000
Total Pages231
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
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