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समर्पित समाज सेवी को नमन
3-9-1913 -4-2-1999
रायबहादुर श्री हरकचन्द जैन पाण्ड्या (रांची) वीर सेवा मन्दिर के आजीवन सदस्य रहे। इस संस्था की स्थापना के समय से ही वे इसकी गतिविधियों में गहरी रुचि रखते थे।
___ यों तो बिहार अंचल के धर्मनिष्ठ श्रावक के रूप में उन्होंने प्रतिष्ठा प्राप्त की थी परन्तु बहुआयामी धार्मिक एवं सामाजिक कार्यों के प्रति उनकी समर्पण भावना ने उन्हें अखिल भारतीय स्तर पर भी आशातीत प्रतिष्ठा दिलाई। उन्होंने तीर्थराज श्री सम्मेदशिखर जी के मुकद्दमों में गत पांच दशक से भी अधिक तक दिगम्बरों के हक की पैरवी कुशलतापूर्वक की। साहू अशोक कुमार जैन ने भी शिखरजी विवाद में उनके अनुभवों का लाभ उठाया। हालांकि गत कई वर्षो से वह अस्वस्थ चल रहे थे किन्तु उनके परिश्रम का फल समाज को तब मिला जब साहू अशोक कुमार जैन के नेतृत्व में दिगम्बरों को मुकद्दमें में सफलता मिली।
वैसे तो रायबहादुर हरकचन्द जी दिगम्बर जैन समाज की सभी शीर्षस्थ संस्थाओं के संरक्षक, न्यासी व अध्यक्ष पदों पर आसीन रहे परन्तु एक जागरूक श्रावक के नाते उन्होंने जो योगदान समाज को दिया वह भुलाया नहीं जा सकता। उनकी सेवाओं को रेखांकित करने के लिए ही उन्हें "जैन रत्न” की उपाधि से विभूषित किया गया।
आज उनका पार्थिव शरीर हमारे बीच नहीं है परन्तु उनके द्वारा समाज सेवा में स्थापित "मील के पत्थर" युगों-युगों तक सामाजिक कार्यकर्ताओं का पथ प्रदर्शन करते रहेंगे। ऐसी विभूति को वीर सेवा मंदिर की हार्दिक श्रद्धांजलि।
सुभाष जैन महासचिव, वीर सेवा मंदिर 21, दरियागंज, नई दिनी ?