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वर्ष ५१
अनेकान्त वीर सेवा मंदिर, २६ दरियागंज, नई
वी नि.स २५२४ वि स २०५४
अक्टूबर-दिसम्बर |
किरण ४
१६६८
परम दिगम्बर-गुरु
बसत उर गुरु निर्ग्रन्थ हमारे । प्रजली ध्यान अगनि जिनके घट विकट मदन बन जारे। तजि चौबीस प्रकार परिग्रह पच महाव्रत धारे।
पच समिति गुपति तीन नयो युत त्रस थावर रखवारे । शुद्धोपयोगपरिपूरन अधरम चूरन हारे ।।
__ बसत उर गुरु निर्ग्रन्थ हमारे।।
रत्नत्रय मण्डित तप सजम सहित दिगम्बर धारे। भूख तृषादिक सहल परीषह तीन भवन उजियारे ।।
बसत उर गुरु निर्ग्रन्थ हमारे ।।
मन वच काय निरोध सोधि तिन भवभ्रम सब तजि डारे। स्वपर दया सुख सिन्धु गुनाकर सील धुरधर धारे ।।
बसत उर गुरु निर्ग्रन्थ हमारे ।।
'देवियदास' गह्यो तिनको पथ, तिन्हि तिन्हि ने सब तारे।।