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________________ अनेकान्त / 28 बादर बादर बादरसुहमं च सुहमथूलं च । सुमं च सुहमसुमं धरादियं होदि छब्भेयं । । गोम्मटसार जीवकाण्ड-603 समयावलिभेदेण दु दुवियप्पं अहव होई तिवियप्पं । ती दो संखेज्जावलिहदसंठाणप्पमाणं तु । | नियमसार - 31 इस गाथा की तुलना गोम्मटसार जीवकाण्ड की निम्न गाथा से की जा सकती है। यहाॅ उत्तरार्ध यथावत् है तथा भावसाम्य भी है। यथा ववहारो पुण तिविहो तीदो वट्टतगो भविस्सो दु । तदो संखैज्जावलि हद सिद्धाणं पमाणं तु । । गोम्मटसार जीव -- 37 भावसाम्य की दृष्टि से उक्त गाथा की तुलना पंचास्तिकाय की निम्न गाथा से कीजिए आगासकालजीवा धम्माधम्मा य मुत्तिपरिहीणा । [-97 मुत्तं पोग्गलदव्वं जीवो खलु चेदणों तेसु ।। पंचास्तिकाय - अरसमरूवमगंधं अव्वत्तं चेदणागुणमसद्दं । जाण अलिंगरहणं जीवमणिद्दिद्वसंठाणं । | नियमसार - 46 यह गाथा कुन्दकुन्द के प्रवचनसार-2/80, समयसार - 49 । पचास्तिकाया - 127. भावपाहुड-64 मे यथावत् रूप से उपलब्ध होती है । गामे व नगरे वारण्णे वा पेच्छिऊण परवत्युं । जो मुचदि गहणभावं तिदियवदं होदि तस्सेव ।। नियम - 58 इसकी तुलना मूलाचार की निम्न गाथा से की जा सकती है। गामे णगरे रणणे थूलं सचित्त बहु सपडिवक्खं । तिविहणे वजिज्दव्वं अदिण्णगहणं च तण्णिच्चं । । मूला 5 / 94 पासुगमग्गेण दिवा अवलोगंतो जुगप्पमाणं हि । गच्छड पुरदो समणो इरिया समिदि हवे तरस ।। नियम-61 इस गाथा की तुलना मूलाचार की निम्न गाथा से कीजिएपासुयमग्गेण दिवा जुगतरप्पेहिण सक्ज्जेण । जंतुण परिहरंतेणिरिया समिदी हवे गमणं । । मूला-1/11 पेसुण्णहासकक्कसपरणिंदप्पप्पसंसियं वयणं । वज्जित्ता सपरहिंद भासासमिदी वदंतस्स । | नियमसार-62 इसकी तुलना में मूलाचार की निम्न गाथा देखिएपेसुण्णहासकक्कसपर जिंदाप्पप्पसंस विकहादी । वज्जित्ता सपरहिंय भासासमिदी हवे कहणं । । मूलाचार-1/12 पासुगभूमिपदेसे गूढे रहिए परोपरोहेण । उच्चारादिच्चागो पइट्ठासमिदी हवेतस्स ।। नियम-65 उक्त गाथा की तुलना मूलाचार की निम्न गाथा से कीजिएएते अच्चिते दूरे गूढे विसालमविरोहे | उच्चारादिच्चाओ पदिठावणिया हवे समिदी ।। मूलाचार-1 /15
SR No.538049
Book TitleAnekant 1996 Book 49 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1996
Total Pages118
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size5 MB
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