SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 86
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ DILIUDOE - - --- . 12 AMER ITALR परमागमत्य बीज निपजात्यन्धासन्धुरावधानम् । सफलनविलसिताना विरोधमयन नमाम्यनेकान्तम् ।। वर्ष ४७ किरण ३ वोर-सेवा मन्दिर, २१ दरियागंज, नई fhoni-२ वीर-निर्वाण सवत् २५२०, वि०म० २०५१ -सितम्बर १६६४ ऐसा मोही क्यों न अधोगति जावे ? ऐसा मोहो क्यों न अधोगति जावे, जाको जिनवाणी न सुहावै ॥ वीतराग सा देव छोड़ कर, देव-कुदेव मनाव। कल्पलता, दयालता ताज, हिंसा इन्द्रासन बाव॥ ऐसा० ॥ रुचे न गुरु निर्ग्रन्थ भेष बहु, परिग्रही गुरु मावे । पर-धन पर-तिय को अभिलाषं, अशन अशोधित खाव ॥ ऐसा० ॥ पर को विभव देख दुख होई, पर दुख देख लहावे । धर्म हेतु इक दाम न खरचं, उपवन लक्ष बहावे ॥ ऐसा० ॥ ज्यों गह मे सं ये बहु अंध, त्यों वन हू में उपजावै । अम्बर त्याग कहाय दिगम्बर, बाघम्बर तन छावै ।। ऐमा० ॥ आरंभ तज शठ यंत्र-मंत्र करि, जनप पूज्य कहावै । धाम-धाम तज दासो राख, बाहर मढ़ी बनावै । ऐसा.॥
SR No.538047
Book TitleAnekant 1994 Book 47 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1994
Total Pages120
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy