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________________ पूज्य बड़े वर्णो जी ने कहा श्रोताओं को मनमानो सुना देना, अपनी प्रभुता जमाना, पाण्डित्य प्रदर्शन करना तथा 'हम ही सब कुछ है' इत्यादि मनोविकारों के होते आत्मकल्याण को लिप्सा अन्धे मनुष्य के हाथ में दर्पण सदृश है। दूसरा मनुष्य उस दर्पण से चाहे मुख देख भी सकता है परन्तु अन्धे को कोई लाभ नहीं। (२५८।४८) यदि आत्म कल्याण करना चाहते हो तो बाह्याडम्बरों का प्रभुत्व देख इनसे पृथक होने की ष्टा करो। व्यर्थ की प्रशंसा में पड़कर मात्मा को वंचित करने का ढंग मत बनो। जितने भी प्रशंसा करने वाले हैं सभी आत्मतत्त्व से दूर है। प्रशंसा करना और प्रशंसा की लालसा करना दोनों ही सहोदरी हैं। भगवान को आज्ञा तो यह है कि यदि कल्याण चाहते हो तो न तो झूठी प्रशंसा करो, न कराओ।' (२६।४।५१) _ 'किसी से विशेष परिचय मत करो' यही शास्त्र को आज्ञा है परन्तु हे आत्मन्, तुम इसका अनादर करते हो अतः अनन्त मंसार के पात्र होगे। तुमने आज तक जो दुख पाए उनका स्मरण दखदायी है। परन्तु तुम इतने सहिष्णु हो गए हा कि अनन्त दुखों के पात्र होकर भो अपने आपको सुखी मानते हो। (२२॥१॥४७) जो घर छोड़ देते हैं वे भी गहस्थों के सदश व्यग्र रहते हैं ? कोई तो केवल परोपकार के चक्र में पहकर स्वकीय ज्ञान का दुरुपयोग कर रहे है। कोई हम त्यागो हैं, हमारे द्वारा ससार का कल्याण होगा ऐसे अभिमान में चूर रहकर कालपूर्ण करते हैं। (३१५१५१) चित्तवृत्ति शमन करने को आत्मश्लाघा त्यागने की महती आवश्यकता है। स्वात्म प्रशसा के लिए ही मनुष्य प्रायः ज्ञानार्जन करते हैं, धनार्जन करते हैं। पर मिलता-जुलता कुछ नहीं। ।१२।४०) मेरा यह दढ़तम विश्वास हो गया है कि धनिक वर्ग ने पण्डितवर्ग को बिल्कुल ही पराजित । कर दिया है। यदि उनको कोई बात अपनो प्रकृति के अनुकूल न रुचे तब वे शोघ्र ही शास्त्र-विहित पदार्थ को भी अन्यथा कहलाने की चेष्टा करते है। (२०१६।५१) (वर्णी-वाणी से साभार) मानीवन सदस्यता शुल्क : १.१.००० वार्षिक मूल्य : ६.०, इस बंक का मूल्य : १ रुपया ५० पैसे बिहान लेखक अपने विचारों के लिए स्वतन्त्र होते हैं। यह मावश्यक नहीं कि सम्पादक-मरस लेखक विधारों से सहमत हो। पत्र में विज्ञापन एवं समाचार प्रायःनहीं लिए जाते।
SR No.538047
Book TitleAnekant 1994 Book 47 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1994
Total Pages120
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size6 MB
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