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________________ अनेकान्त/१० आगम के प्रति विसंगतियाँ पद्मचन्द्र शास्त्री क्या जनमत आगम से बड़ा है ? ‘सत्य क्या लोकतत्र है जो लोगों की सहमति (वोटो) से काम चलेगा ? क्या जिनवाणी जनवाणी है? आगम की प्रामाणिकता जनमत से सिद्ध हो जायगी? आगम को सिद्ध करने के लिए आगम चाहिए, न कि जनमत संग्रह ।'-उक्त विचार उपाध्याय श्री कनकनन्दी मुनिराज के हैं और इन विचारो से हम पूर्ण सहमत है। स्मरण हो कि गत दिनो 'कर्मबन्ध और उसकी प्रक्रिया' पुस्तक के सबध मे कटनी मे एक गोष्ठी अ भा दि जैन विद्वत्परिषद के तत्वावधान में श्री देवेन्द्र कुमार शास्त्री की अध्यक्षता मे हुई और उसमें पारित प्रस्ताव मे स्पष्ट लिखा गया कि-'कर्मबन्ध और उसकी प्रक्रिया आगम वर्णित तथ्यों के आधार पर प्रस्तुत की गई है। इस कथन से स्पष्ट है कि प्रस्ताव मे मिथ्यात्व के अकिचित्कर होने की पुष्टि को स्वीकार किया गया है। पं. प्रकाश हितैषी (जो गोष्ठी मे संमिलित थे) ने गोष्ठी के विषय मे लिखा है कि-"प० जगन्मोहन लाल जी ने विपक्ष के प्रमाणो का समाधान करने का प्रयत्न भी किया किन्तु सही समाधान कुछ भी नहीं निकल सका। विद्वत्परिषद के अध्यक्ष लिखते हैं कि-'अध्यक्ष, दि जैन पचायत कटनी की ओर से मिथ्या प्रचार किया जा रहा है कि सगोष्ठी में सभी विद्वानो ने यह स्वीकार कर लिया है कि मिथ्यात्व अकिचित्कर है।-वे यह भी लिखते है कि प्रस्ताव पुनः ठीक से पढे उसमे केवल बडे पंडित जी (प जगन्मोहन लाल जी सिद्धान्त शास्त्री) के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की गई है अत. मिथ्या प्रचार न करें। हम नही समझे कि जब प्रस्ताव मे स्पष्ट लिखा हैं कि 'पुस्तक आगम वर्णित तथ्यो के आधार पर प्रस्तुत की गई हैं तब विवाद कैसा? यदि उसमे तथ्य नहीं तो कृतज्ञता कैसी? क्या पंडित जी को आयु मे बडे मानकर बडे पडित जी लिखा गया है? और कृतज्ञता व्यक्त की गई है? उक्त स्थिति में यह खुले रूप मे स्पष्ट होता है कि गोष्ठियाँ गोटी बिठाने के लिए की जाती है, जिनमे भाग लेने वाले कुछ व्यक्ति तो मुंह देखी कह ही देते हैं, जैसे कि डॉ देवेन्द्र कमार जी, जो मौके पर दस्तखतो से इन्कार की हिम्मत न जुटा सके। यदि वे प्रस्ताव से असहमत थे और उन्हे विरोध ही इष्ट था तो प्रस्ताव पर हस्ताक्षर
SR No.538047
Book TitleAnekant 1994 Book 47 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1994
Total Pages120
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size6 MB
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