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________________ केन्द्रीय संग्रहालय गूजरी महल ग्वालियर में संरक्षित सर्वतोभद्रिका प्रतिमाएँ २७ मालाधारी विद्याधर, नीचे पादपीठ पर चारों ओर बारह से. मी. आकार की है। जिन प्रतिमा एवं अठारह परिचारकों का आलेखन है। पुरातत्त्व एवं संग्रहालय, नलघर बलुआ पत्थर पर निर्मित प्रतिमा-११५४६०४६० सुभाष स्टेडियम के पीछे, रायपुर (म.प्र.) सन्दर्भ-सूची १. तिवारी मारुति नन्दन प्रसाद "जैन प्रतिमा विज्ञान" ३. संग्रहालय में सुरक्षित एलबम मे छायाचित्र क्रमांक वाराणसी १९८१, पृ. १४८-४६. ६२ इसका प्राप्तिस्थान ग्वालियर दुर्ग लिखा है। २. ठाकुर एस. आर. कैटलॉग आफ, स्कप्चर्स इन दी ४. ठाकुर एम. आर. पूर्वोक्त पृ. २३ क्रमाक १६. आकिलाजिकल म्यूजियम ग्वालियर एम. बी. पृष्ठ ५. सग्रहालय में सुरक्षित एलबम में छायाचित्र क्रमांक २०, क्रमाक २. ६३ पर इस प्रतिमा स्थान ग्वालियर दुर्ग लिखा है. पृ० २२ का शेषाश) ब्राह्मी से उसका मेल बैठ जाता है। वर्तलाकार तो अक्षरो to be known as nana, mona alphabet. (Traके गोल-गोन होने के कारण कहा गया होगा। vancore Archicolugical Series, Vol. XVIनाना मोना लिपि--उपर्युक्त लिपि को नाना मोना देवनागरी उच्चारण लेखक ने दिए हैं । नमोऽस्तु का प्रयोग जनो द्वारा देवदर्शन, देवपूजन में प्रारम्भ मे ही प्रतिदिन या नानम मोनम् भी कहा जाता है। इस सम्बन्ध मे श्री किया जाता है । मुनि, सानो और यक्ष-यक्षणियो को भी गोपीनाथ गव ने लिखा है-"The name Nana-Mona नमोऽस्तु किया जाता है। is given to it be couse at the time, when the alphabet is taught to chidren for the first कालांतर में वझेळत्तु के दो भेद और भी हए । अत time, the 'benedictory' words 'namostu' etc मे ग्रथ लिपि जिसमे सस्कृत लिखी जातो है, अपना ली are vegun, which are spelt nana (नाना) mona गई । मलयालम भाषा की लिपि मे भी सुधार हुए । मुद्रण (मोना) ittanna (इत्तन्ना), tina (तीना) that is na, के कारण भी ये सुधार किए गए। mo and tu and the alphabet, therefore came ****** ******************* KKKXKk आवश्यकता वीर सेवा मन्दिर शोध-संस्थान के लिए प्राकृत-संस्कृत-अंग्रेजी के ज्ञाता सिद्धान्तज्ञ योग्य विद्वान की आवश्यकता है। आवास, पानी, बिजली को समचित व्यवस्था उपलब्ध है। मानदेय के रूप में स्वीकार्य वेतन दिया जायगा। कृपया वीर सेवा मन्दिर २१, दरियागंज, नई दिल्ली-११०००२ से संपर्क करें। -सुभाष जैन, महासचिव ***********kkkkkkkkkkkxx ********* *XXXX
SR No.538045
Book TitleAnekant 1992 Book 45 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1992
Total Pages144
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size7 MB
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