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वीर सेवा मन्दिरका त्रैमासिक
अनकान्त
बब ४५ कि.
(पत्र प्रवर्तक : प्राचार्य जुगल किशोर मुख्तार 'युगबीर')
__ अक्टूबर-दिसम्बर १९९२
इस अंक में
विषय १. ऐसा मोही क्यों न अधोगति जावे
२. जैन एवं बौद्ध साहित्य में श्रमण परम्परा | -हा. रमेशचन्द्र जैन ३. पाश्र्वनाथ और पपावती
-श्री राजमल जैन ४. असंयन-समकित सत्-आचरण रहित नहीं होता
-जवाहर लाल मोतीलाल जैन भीण्डर ५. जयघवला पु. १६ का शुद्धि-पत्र
-श्री जवाहरलाल मोतीलाल अन, भीडर ६. श्री शांतिनाथ चरित संबंधी साहित्य
-कु. मृदुला कुमारी, बिजनौर ७. बिना सुगन्ध फूल का मूल्य नहीं
-श्री प्रेमचन्द जैन ८. जो हमें पसन्द नहीं आया
-पचन्द्र शास्त्री सादिक | ..दिर की बात दिल से कही-और रो लिए
-श्री पचन्द्र शास्त्री 'संपादक' १०. तब सुधार कैसे हो? अब..
कवर पृ. २ ११. सचिन ज्ञान-कण-श्री साम्डीलाल जैन कागजी , ३
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प्रकाशक:
वीर सेवा मन्दिर, २१ दरियागंज, नई दिल्ली-२