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________________ सोनागिरि मन्दिर अभिलेख : एक पुनरावलोकन डॉ० कस्तूरचन्द्र 'सुमन' एम. ए. पी-एच. डी. सोनागिरि चन्द्रप्रभ जैन मन्दिर में चन्द्रप्रभ प्रतिमा ४. पारी छत महराज की दोनों ओर पत्थर पर प्रशस्तियाँ अंकित हैं। प्रतिमा ५. तिया पति वाढस दारि की दाई ओर का लेख नागरी लिपि से हिन्दी भाषा में ६. फलफलै मन कि न उत्कीर्ण है। इसमें तेरह पंक्तियाँ और उनमें चार दोहे हैं। ७. मनीराम जी संगि आदि के तीन दोहे भट्रारक सम्प्रदाय नामक ग्रन्थ मे ८. पितु की आज्ञा पाइम संग्रहीत है। चौथे दोहे का दूसरा चरण प. बलभट जन ६. चपाराम (व) सह कार या ने "पुन्यो जीवनसार" पढ़ा है। १०. वा सुषुदाइ वर ॥२॥ सवत सम्पूर्ण मूल पाठ निम्न प्रकार है ११. अष्टादस कहै तेरा १. ॥श्री ॥ दोहरा ॥ मदिर सह रा १२. सी की साल लाला २. जत भए चदनाथ जिन ई १३. लक्षिमीचंद ने पै ३. स पौष सुदी पूनिम दिना ती १४. री श्री जिनमाल ॥३॥ ४. न सतक पैतीस ॥ ॥ मू १५. प्रथम कियो प्रारंभ ५. ल संघ अरगण कहो बलात् १६. मुनि मदिर जीर्णो १७. द्वार श्रावक हिय ६. कार समुहाई श्रवणसेन अ ७. र दुसरे कनकसेन दुइ भाइ ।। १८. हरषित भए सब मि ८. ॥२॥ वीजक अच्छिर वाचिकै ज १६. लि करी समार ॥४॥ ६. . . . . . सदुए रचाइ' और लिखो तो व २० विजयकीति जिन सूरि के सि १०. हुत सो सो नहि परौ लषाइ ॥३॥ २१. ष्य कर मतु सेषु परम सिष्य २२. .........."देसे परिमे...... ११. द्वादस सतक वरुत्तरा पुनि नि १२ मपिन सार पार्श्वनाथ चरण फाल्गुण सुदि १३ १३. नि तरै तामो विदी विचार ॥४॥ भावार्थ दमरा शिलालेख प्रतिमा की बाईं ओर अकित है। तेरह पक्ति वाले प्रथम लेख में तीसरे दोहे से प्रस्तुत अभिषेक के लिये सीठियां इन्ही शिलालेखों के नीचे बनाई हिन्दी लेख किसी अन्य लेख का सारांश ज्ञात होता है। गई है। यह प्रशस्ति अब तक अप्रकाशित है। इनमे चौथे दोहे से यह भी ज्ञात होता है कि सवत् १२१२ में बाईस पक्तियाँ है। आदि मे दो सोरठा और अन्त मे तीन पार्श्वनाथ प्रतिमा के चरणो मे बैठकर पुननिर्माण की दोहे है । सोरठा अंश तथा बाईसवी पक्ति अपठनीय है। योजना बनाई गई थी। इससे सिद्ध है कि सवत् १२१२ मूल पाठ निम्न प्रकार है मे इस लेख का मूलपाठ अपठनीय हो गया था। उसमें १. श्री मणिचिरु जो कुछ समझ में आ सका वह अंश प्रस्तुत लेख में दिया २. चंद्रनाथोय नम गया है। ३. वंश वुदेल.......... दूसरे बाईस पक्ति वाले हिन्दी लेख में संवत् १८५३
SR No.538042
Book TitleAnekant 1989 Book 42 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1989
Total Pages145
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size7 MB
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